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वन विभाग को ख़बर दिए जाने से था नाराज़, बदला लेने के लिए 22 किलोमीटर का सफ़र तय करके पहुंचा बंदर

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (29 सितंबर, 2021)

एक इंसान दूसरे इंसान से बदला लेता है और इसके लिए हर हद पार कर देता है। ये बेहद आम बात है। एक जानवर दूसरे जानवर से बदला लेने के लिए भी लड़ता है। कर्नाटक के ज़िला चिकमगलूर के कोट्टिघेरा गांव में कुछ ऐसा ही हुआ है। यहां बॉनेट मकाऊ प्रजाति का एक बंदर लोगों के लिए ख़ौफ़ का दूसरा नाम बन गया है।

पांच साल का ये बंदर लोगों से फल और खाने की चीज़ें छीन रहा था। लोगों ने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि बंदर ऐसा ही करते हैं। स्कूल खुलने के बाद ये बंदर एक स्कूल के आस-पास घूमने-फिरने लगा। बच्चे बंदर से डर रहे थे। किसी ने वन विभाग को खबर दे दी और शरारती बंदर को पकड़ने के लिए एक टीम मौके पर पहुंची।

बंदर को पकड़ना आसान नहीं था. वन विभाग के अधिकारियों ने ऑटोरिक्शा वालों और अन्य लोगों से मदद मांगी और बहुत मशक्कत के बाद बंदर को पकड़ा। एक ऑटोरिक्शा चालक, जगदीश भी मदद के लिए पहुंचा था। परेशान बंदर ने जगदीश पर हमला कर दिया। जगदीश वहां से भाग गया लेकिन बंदर उसके पीछे भागा जगदीश अपने ऑटो में छिप गया और बंदर ने ऑटो के शीट्स फाड़ दिए।

जगदीश के शब्दों में “मै बहुत डर गया था। मैं जहां जाऊं वो पागल बंदर मेरे पीछे पड़ जाए। उसने मुझे इतनी ज़ोर से काटा कि डॉक्टर्स ने कहा ज़ख़्म ठीक होने में एक महीना लगेगा। मैं अपना ऑटोरिक्शा भी नहीं चला सकता। उस दिन मैं घर नहीं गया क्योंकि मुझे डर था कि वो घर तक पीछा करेगा। घर पर छोटे बच्चे हैं। अगर वो उन पर हमला कर दे तो। मैं अभी भी डरा हुआ हूं।”

खैर, 30 लोगों की तीन घंटे की मशक्कत के बाद बंदर को पकड़ा गया। वन विभाग ने गांव से 22 किलोमीटर दूर बालुर जंगल में बंदर को छोड़ दिया। कोट्टिघेरा के लोगों ने राहत की सांस ली कि बंदर अब उन्हें तंग नहीं करेगा।

यक़ीन करना मुश्किल है लेकिन वो बंदर बालुर जंगल के पास से जा रहे ट्रक पर चढ़ा और कोट्टिघेरा गांव तक पहुंचा। जब जगदीश को बंदर की वापसी की बात पता चली तो उसके हाथ पैर फूल गए।” बंदर की इस हरकत से वन विभाग खुद हैरत में है।

वन विभाग ने दूसरी बार बंदर को 22 सितंबर को पकड़ा और दूर-दराज़ के जंगल में छोड़ आए। जगदीश ने कुछ दिन घर के अंदर रहने का ही निर्णय लिया है और उसे उम्मीद है कि ये बंदर अब वापस न आए।

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