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उत्तराखंड: जमीनों की खरीद-फरोख्त की इंटेलीजेंस से मिली इनपुट के बाद अलर्ट हुई सरकार,

@शब्द दूत ब्यूरो (27 सितंबर, 2021)

उत्तराखंड में क्षेत्र विशेष में भूमि की खरीद-फरोख्त पर निगरानी रखने और जिलों में बाहरी व्यक्तियों के सत्यापन का फैसला सरकार ने होमवर्क के बाद लिया है। खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट और अन्य माध्यमों से सरकार तक पहुंची शिकायतें इसका आधार बनी हैं।

हाल ही में पर्वतीय क्षेत्र में नजर आ रहे डेमोग्राफिक चेंज (जनसांख्यिकी बदलाव) समुदाय विशेष की बढ़ती आबादी के साथ ही रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की घुसपैठ और कई इलाकों में इस वजह से हो रहे पलायन की शिकायतें भी इस फैसले की वजह बनी हैं।

राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश से लगे जिलों यानी देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर व पौड़ी की जनसंख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इसमें भी समुदाय विशेष के व्यक्तियों के बसने और जमीन खरीदने के मामले तेजी से बढ़े हैं। परिणामस्वरूप इन बीस वर्षों में डेमोग्राफिक चेंज प्रत्यक्ष रूप से देखने में मिला है। इसके कारण कुछ क्षेत्रों से पलायन की सूचनाएं भी आई हैं।

सरकार को हाल ही में इंटेलीजेंस से जो इनपुट मिला हैं, उसमें बताया गया है कि अब मैदानी जिलों के साथ ही पहाड़ी जिलों चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी व अल्मोड़ा में समुदाय विशेष की बसावट तेजी से हो रही है। इनमें रोहिंग्या, बांग्लादेशियों के भी शामिल होने की आशंका है। यही नहीं, बड़ी संख्या में नेपाली मूल के नागरिक भी अवैध रूप से रह रहे हैं। इन्होंने यहां वोटर कार्ड और पहचान पत्र भी बनवाए हुए हैं।

पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन के कारण पहले ही जनसंख्या कम है। इस पर इन क्षेत्रों में समुदाय विशेष की संख्या बढऩे के कारण अन्य लोग भी पलायन कर रहे हैं। कहा गया है कि यदि समय रहते इन पर रोक नहीं लगाई गई तो स्थिति विकट हो सकती है।

यही वजह है कि सांप्रदायिक सौहार्द को बरकरार रखने के लिए सरकार ने सभी जिलों में शांति समितियों के गठन का निर्णय लिया है। हालांकि, गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय के अधिकारी इस मामले में अधिकृत तौर पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, लेकिन विभागीय सूत्र इस तरह के इनपुट सरकार तक पहुंचाए जाने की पुष्टि कर रहे हैं।

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