@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (17 सितंबर 2021)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रमों ने कट्टरपंथ से उत्पन्न चुनौती को और अधिक स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि एससीओ को इस्लाम से जुड़े उदारवादी, सहिष्णु तथा एवं समावेशी संस्थानों और परम्पराओं के बीच मजबूत सम्पर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए।
पीएम मोदी आज आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की वार्षिक बैठक में वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर रहे थे। बैठक तजाकिस्तान की राजधानी दोशांबे में हो रही है। उन्होंने अफगानिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा कि कट्टरता का बढ़ना इस क्षेत्र में शांति के लिए खतरा बन रही है। इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और आपसी विश्वास की कमी आज बड़ी चुनौती हैं। पीएम मोदी ने कट्टरपंथ को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।
इस्लाम से जुड़े उदारवादी, सहिष्णु तथा समावेशी संगठनों को आगे आना होगा। और एक मजबूत संपर्क बनाना होगा। क्षेत्र के युवाओं के उज्जवल भविष्य के लिए यह आवश्यक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि भारत मध्य एशिया के साथ अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। एशियाई देश भारत के विशाल बाजार से जुड़ कर काफी लाभ अर्जित कर सकते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि अगर हम इतिहास पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र मोडरेट और प्रोग्रेसिव कल्चर और वैल्यूज का गढ़ रहा है। सूफ़ीवाद जैसी परम्पराएं यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं। इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत में और एससीओ के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी मोडरेट, टोलरेंट और समावेशी संस्थाएं और परम्पराएं हैं। एससीओ को इनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। इसके लिए उन्होंने एससीओ की सराहना की।
पीएम मोदी ने कहा कि इस साल हम एससीओ की 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। मैं एससीओ के नए सदस्य देश के रूप में ईरान का स्वागत करता हूं। मैं तीन नए संवाद भागीदारों- सऊदी अरब, मिस्र और कतर का भी स्वागत करता हूं।