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काशीपुर :अरबों की सरकारी भूमि हथियाने में चकबंदी विभाग भी सवालों के घेरे में

इसी भूमि पर नजर है भूमाफियाओं की

कुम्हार समाज को आवंटित भूमि हथियाने की कोशिश

 शब्द दूत एक्सक्लूसिव रिपोर्ट 

   आज से लगभग 5 दशक पूर्व काशीपुर में मानपुर रोड पर अविभाजित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के दौरान पं नारायण दत्त तिवारी ने कुम्हार समाज के रोजगार के लिए 5 एकड़ से अधिक भूमि आवंटित की थी। भूमि आवंटन का उद्देश्य कुम्हार बिरादरी के पारंपरिक रोजगार के लिए मिट्टी मुहैया कराना था। वर्षों से काशीपुर में मिट्टी के बर्तन खिलौने आदि बनाने में जुटे कुम्हार बिरादरी के लोग यहाँ से मिट्टी लाते रहे हैं।पर इधर समय बीतने के साथ यह भूमि बेशकीमती हो गई। ऐसे में कुछ लोगों ने इस भूमि पर निगाह रखनी शुरू कर दी। वहीं चकबंदी विभाग के कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से इस भूमि पर कब्जा जमाने का खेल शुरू हो गया। बताया जाता है कि सरकार द्वारा आवंटित इस भूमि पर कुछ लोग कब्जा जमाने में सफल भी हो गये।  दो दिन पूर्व इस भूमि का सीमांकन करना चकबंदी पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। जहाँ आवंटन के समय यह भूमि 5 एकड़ से अधिक बतायी जाती है। चकबंदी विभाग ने जो सीमांकन किया है वह लगभग सवा चार एकड़ है। इसका सीधा सा मतलब है कि एक एकड़ से अधिक भूमि भूमाफियाओं के कब्जे में आ चुकी है।शब्ददूत की टीम ने इस बारे में तहकीकात की तो भूमाफियाओं और चकबंदी विभाग की मिलीभगत का खुलासा हुआ है। विभाग जहाँ भूमि सवा चार एकड़ ही बता रहा है वहीं कई बुजुर्ग इस बात का दावा करते नजर आए कि 5 एकड़ से अधिक भूमि मिट्टी के लिए आवंटित की गई थी।

भोजराज सिंह

70 वर्षीय भोजराज सिंह बताते हैं कि वह काफी समय से यहीं से मिट्टी लाते रहे हैं। और वह यह भी स्वीकारते हैं कि भूमि पर कुछ प्रापर्टी डीलर ने प्लाटिंग करना शुरू कर दिया है। कुम्हार समाज के लोगों के विरोध करने पर मामले में लीपापोती शुरू हो गई है।

कैलाश प्रजापति एडवोकेट

प्रजापति महासभा के प्रदेश महामंत्री तथा  वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश प्रजापति अपने समाज के इन लोगों की लड़ाई को लड़ रहे हैं। लेकिन वह भी मानते हैं कि इस भूमि पर कब्जा करने के लिए सरकारी विभाग के कर्मचारी और भूमाफियाओं की मिलीभगत चल रही है।

लीला

कटरामालियान निवासी बुजुर्ग लीला बताते हैं कि लगभग साढ़े 5 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी जो अब मौके पर कम बतायी जा रही है। वह कहते हैं कि जमीन कुम्हार समाज को मिट्टी उठाने के लिए दी गई थी। लेकिन अब वहाँ से बुग्गियों और ट्रैक्टर ट्रालियों से अवैध रूप से मिट्टी का खदान किया जाने लगा है। यहाँ तक कि जेसीबी मशीनों से भी खुदान चल रहा है।यह भूमि राजस्व विभाग के अभिलेखों में ग्राम बैलजूड़ी में है। 

रामसिंह

कुम्हार का कार्य करने वाले स्टेडियम रोड निवासी रामसिंह बताते हैं कि मिट्टी मंहगी होने की वजह से वह लोग यहाँ से मिट्टी उठाया करते हैं लेकिन कब्जे के बाद उन्हें मिट्टी खरीदनी पड़ेगी। वैसे भी अब परंपरागत मिट्टी के बर्तन आदि की बिक्री कम हो गई है जिससे इस कार्य से परिवार पालना और मुश्किल हो जायेगा। 

इस सरकारी जमीन को खुर्द बुर्द करने के गोरखधंधे में चकबंदी विभाग के कर्मचारी भी सवालों के घेरे में हैं। शब्द दूत को पता चला है कि इस भूमि को कब्जे में लेने की कोशिश चुनाव आचार संहिता के दौरान तेज हो गई थी। लेकिन देखना है कि यह मामला सामने आने के बाद शासन प्रशासन क्या कार्रवाई करता है। भूमाफियाओं की इस कोशिश को नाकाम करने में शासन प्रशासन कहां तक सफल होगा जबकि कहा यह जा रहा है कि अभिलेखों में हेरफेर तक किया जा चुका है।

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