@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (7 सितंबर 2021)।
आज से चालीस साल पहले खेदारू तीस साल के नौजवान थे। तब खेदारू गोड़ियापट्टी के नारायणपुर घाट रोड पर एक छोटी सी परचून की दुकान करते थे। सन 1980 में उन्हें अपनी दुकान के पीछे एक गगरी मिली जिसमें दस किलो सोना था। खेदारू ने पुलिस प्रशासन को मामले की सूचना दी और साथ ही यह भी कहा कि वह इस सोने से भरी गगरी को प्रधानमंत्री को खुद अपने हाथ से सौंपेंगे। खेदारू की हठ पर प्रशासन ने इस बात का प्रबंध किया खेदारू को दिल्ली ले जाया गया और उन्होंने अपने हाथों वह सोने से भरी गगरी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सौंप दी।
खेदारू को पीएम ने खुश होकर 20 एकड़ जमीन का पट्टा बतौर इनाम दिया। लेकिन बीते रोज खेदारू का निधन हो गया और जीवन के अंतिम दिन तक चालीस सालों तक डीएम समेत तमाम अफसरों के चक्कर लगाने के बावजूद खेदारू जमीन का सपना लिये ही चल बसे।
परिजन बताते हैं कि खेदारू को मदनपुर व नौरंगिया में 20 एकड़ जमीन का पट्टा मिला था। तब उस जमीन पर अतिक्रमण था। पट्टा लेकर वह डीएम से सीओ तक दौड़ता रहा। पहले अतिक्रमण और बाद में जंगल की जमीन बताकर बैरंग लौटा दिया गया। जेडीयू किसान प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष दयाशंकर सिंह बताते हैं कि घटना 1981-82 की है। खेदारू भट्टी रोड में परचून की दुकान चलाता था। दुकान के पीछे खंडहरनुमा मकान से उसे गगरी मिली थी। खेदारू के पड़ोसी व मित्र सरदार मियां ने बताया कि तत्कालीन डीएसपी डीएन कुमार ने सोना समेत गगरी प्रशासन को सौंपने को कहा, लेकिन उसने इनकार कर दिया। खेदारू को दिल्ली ले जाया गया। इंदिरा जी के साथ उसकी तस्वीर भी हमलोगों ने देखी थी। रख-रखाव के अभाव में तस्वीर खराब हो गई।
बहरहाल अब खेदारू की मौत के बाद अब मामले की जांच की बात कही जा रही है। एसडीएम दीपक कुमार मिश्रा कहते हैं कि मामला बहुत पुराना है। सीओ से जांच कराई जाएगी। वाकई इनाम में 20 एकड़ जमीन मिली होगी तो इसे परिजनों को दिलाने का प्रयास किया जाएगा।