@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (06 सितंबर, 2021)
कहते हैं, इंसान को जिंदा रहने के लिए दो वक्त की रोटी मिल जाए तो काफी है, बाकी हवा-पानी तो मिल ही जाता है। लेकिन जब बात ज्यादा खाने की हो तो आप एक दिन में अधिक से अधिक कितना खाना खा सकते हैं? दो-चार या दस किलो! लेकिन अगर आपसे कहें कि एक ऐसे भी राजा हुए, जो एक दिन में 35 किलो खाना खा जाते थे, तो आप चौंक जाएंगे न!
बात हो रही है गुजरात के पेटू छठे सुल्तान महमूद बेगड़ा की। बादशाह महमूद बेगड़ा को खाने का इतना शौक था कि वे एक दिन में 35 किलो तक खाना अकेले ही खा जाते थे। अपनी वीरता के कारण सुल्तान महमूद बेगड़ा पराक्रमी योद्धा के रूप में जितने प्रसिद्ध थे, उतने ही फेमस थे, अपने पेटू होने के कारण। महज 13 साल की उम्र में वे बादशाह बने और 53 साल तक उन्होंने शासन किया। उस समय एक बादशाह के रूप में यह सबसे लंबा शासनकाल था। 1459 ईस्वी से लेकर 1511 ईस्वी तक वे बादशाह रहे।
सुल्तान महमूद बेगड़ा एक हष्टपुष्ट शरीर के मालिक थे। बताया जाता है कि उनका व्यक्तित्व आकर्षक था, उनकी दाढ़ी-मूंछे भी काफी लंंबी थी। उनके हृष्ट-पुष्ट शरीर को काफी मात्रा में खाने की जरूरत पड़ती थी और इसलिए उनकी खुराक काफी ज्यादा थी।
महज 13 वर्ष की उम्र में गद्दी संभालने वाले महमूद बेगड़ा को उनके वंश का सबसे प्रतापी और वीर शासक कहा जाता है। एक पराक्रमी योद्धा के रुप में वे अपने शासनकाल में मशहूर थे। गिरनार, जूनागढ़ और चम्पानेर के किलों को जीतने के बाद उन्हें ‘बेगड़ा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।
बहादुर बादशाह बेगड़ा निजी जिंदगी में काफी अजीबोगरीब तो थे ही, साथ ही साथ अपने खान-पान के लिए वे चर्चित थे। उनके खाने से जुड़े कई किस्से मशहूर है, ऐसा कहा जाता था कि ढेर सारा खाना खाने के कारण लोग उन्हें देख कर ही हैरान हो जाते थे।
आप ब्रेकफास्ट में कितना खा लाते होंगे? थोड़ा-बहुत ही न! लेकिन सुल्तान बेगड़ा के बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे। वे सुबह के नाश्ते में एक कटोरा शहद, एक कटोरा मक्खन और 100-150 तक केले आराम से खा जाते थे।
यूरोपीय और फारसी इतिहासकारों ने अपनी कहानियों में इस बात का उल्लेख किया है कि वे हर रोज लगभग एक गुजराती टीले जितना खाना खा जाते थे। वहीं, दोपहर में भरपेट भोजन के बाद उन्हें मीठा खाने का शौक था। हर रोज डेजर्ट में बादशाह साढ़े चार किलो मीठे चावल खा जाते थे।
दिनभर खूब सारा खाने के बाद और फिर रात में भरपेट भोजन के बाद भी उनका मन नहीं भरता था। रात को कहीं अचानक बादशाह को भूख लग जाए तो! इस स्थिति के लिए भी एडवांस में ही व्यवस्था रहती थी। भूख लग जाने के डर से सुल्तान को परेशानी न हो, इसके लिए उनके बेड के पास उनके तकिये के दोनों ओर गोश्त के समोसों से सजी तश्तरियां रखी जाती थीं। ताकि सुल्तान को आधी रात भी भूख लग जाए तो वे खा सकें.।
यह सुनकर आश्चर्य लगता है कि कोई खाने के साथ खुद ही जहर क्यों लेगा भला! लेकिन सुल्तान ऐसा करते थे। यूरोपीय इतिहासकार वर्थेमा और बारबोसा ने इस बारे में लिखा था कि सुल्तान को एक बार जहर देने की कोशिश की गई थी। उसके बाद से सुल्तान को रोज थोड़ी मात्रा में जहर दिया जाने लगा ताकि उनका शरीर और इम्यून सिस्टम जहर का आदी हो जाए। ऐसा इसलिए ताकि कोई उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश करे तो उनके शरीर पर उसका असर ही न हो।