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सांसदों-विधायकों के खिलाफ मामलों में ट्रायल में देरी पर सीबीआई और ईडी पर बरसा सुप्रीम कोर्ट

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (25 अगस्त, 2021)

सासंदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के जल्द ट्रायल करने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट सीबीआई और ईडी पर ट्रायल में देरी पर बरसा  है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि 15-20 साल से केस पेंडिंग हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये एजेंसिया कुछ नहीं कर रही हैं। खासतौर से ईडी सिर्फ संपत्ति जब्त कर रही है। यहां तक कि कई मामलों में चार्जशीट तक दाखिल नहीं की गई है। केसों को ऐसे ही लटका कर न रखें। कोर्ट ने कहा चार्जशीट दाखिल करें या बंद करें। मामलों में देरी का कारण भी नहीं बताया गया है। अदालतें पिछले दो साल से महामारी से प्रभावित हैं। वो अपनी पूरी कोशिश कर रही हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पीएमएलए में 78 मामले 2000 से लंबित हैं। आजीवन कारावास में भी कई मामले लंबित हैं। सीबीआई के 37 मामले अभी लंबित हैं। हमने एसजी से हमें यह बताने के लिए कहा था कि इसमें कितना समय लगेगा। हम एसजी तुषार मेहता से सीबीआई और ईडी से इन लंबित मामलों के बारे में स्पष्ट स्पष्टीकरण देने को कहेंगे। इन एजेंसियों ने इन मामलों में देरी के कारणों के बारे में विस्तार से नहीं बताया है। एसजी ने कहा कि आप हाई कोर्ट को इसमें तेजी लाने का निर्देश दे सकते हैं।

कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए एक्ट में पूर्व सांसद समेत 51 सांसद आरोपी हैं. 51 मामलों में से 28 की अभी जांच चल रही है, 4 का ट्रायल चल रहा है। ये कम से कम 10 साल पुराने मामले हैं।  कुछ मामलों में अत्यधिक देरी हुई है। कुछ मामलों में मुकदमे की स्थिति का उल्लेख नहीं किया गया है। विधायकों के खिलाफ मामलों में भी यही स्थिति है। लगभग 70 में से 40 से अधिक की जांच चल रही है

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 121 मामले 51 सांसदों के खिलाफ हैं। 112 मानले विधायकों के खिलाफ हैं जबकि सबसे पुराना मामला 2000 का है। सीबीआई की विशेष अदालतों में 58 मामले लंबित हैं और आजीवन कारावास की सजा से संबंधित हैं। मौत की सजा के मामले में भी केस सालों से लंबित हैं। एक मामले में वे कह रहे हैं कि मामला 2030 में पूरा होने की उम्मीद है।

   

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