@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (15 अगस्त 2021)
संसद की कार्यवाही के दौरान होने वाले हंगामों पर देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमन्ना नाखुश हैं। उन्होंने इस बात पर अपनी नाराजगी जाहिर की कि अब ससंद में बहस की जगह हंगामे होते हैं। उन्होंने कहा कि कि ससंद से ऐसे कई कानून पास हो गये जिनमें कमियां थी।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कि पहले ससंद के दोनों सदनों में काफी वकील होते थे लेकिन अब स्थिति इसके उलट है। जस्टिस रमन्ना ने कानूनी जानकारी वाले लोगों से सार्वजनिक सेवा के लिए समय देने का अनुरोध किया। ताकि बगैर बहस के कमियों वाले कानून पास न हों।
#WATCH | CJI Ramana says, "If you see debates which used to take place in Houses in those days, they used to be very wise, constructive…Now, sorry state of affairs…There's no clarity in laws. It's creating lot of litigation&loss to govt as well as inconvenience to public…" pic.twitter.com/8Ca80rt8wC
— ANI (@ANI) August 15, 2021
देश के मुख्य न्यायाधीश के मुताबिक पहले के कानून बौद्धिक और रचनात्मक होते थे लेकिन आज जो कानून बन रहे हैं उनमें कोई स्पष्टता नहीं है। यहाँ तक कि कानून बनाने के उद्देश्य क्या है यह भी हम नहीं जानते। कमी वाले कानूनों की वजह से बहुत सारी मुकदमेबाजी हो रही है, साथ ही जनता को भी असुविधा और नुकसान हो रहा है। अगर सदनों में बुद्धिजीवी और वकील जैसे पेशेवर न हों तो ऐसा ही होता है।
यहाँ याद दिला दें कि हाल ही में संसद में हुई हंगामे की चर्चा देश भर में हुई। सदन में कई बार मार्शल बुलाने पड़े। कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।