@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (9 अगस्त, 2021)
देश के प्रधान न्यायाधीश ने कहा है कि हिरासत में यातना और अन्य पुलिसिया अत्याचार देश में अब भी जारी हैं और यहां तक कि ‘‘विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को भी ‘थर्ड डिग्री’ की प्रताड़ना से नहीं बख्शा जाता है।” उन्होंने राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (नालसा) से देश में पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील बनाने को कहा।
‘न्याय तक पहुंच’ कार्यक्रम को निरंतर चलने वाला मिशन बताते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कानून के शासन द्वारा शासित समाज बनने के लिए ‘‘अत्यधिक विशेषाधिकार प्राप्त और सबसे कमजोर लोगों के बीच न्याय तक पहुंच के अंतर को पाटना” जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि, एक संस्था के रूप में न्यायपालिका नागरिकों का विश्वास हासिल करना चाहती है, तो हमें सभी को आश्वस्त करना होगा कि हम उनके लिए मौजूद हैं. लंबे समय तक, कमजोर आबादी न्याय प्रणाली से बाहर रही है।”
न्यायमूर्ति रमण ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में कानूनी सेवा मोबाइल एप्लिकेशन और नालसा के दृष्टिकोण और ‘मिशन स्टेटमेंट’ की शुरुआत के अवसर पर जोर दिया कि अतीत से भविष्य का निर्धारण नहीं करना चाहिए और सभी को समानता लाने के लिए काम करना चाहिए। मोबाइल ऐप गरीब और जरूरतमंद लोगों को कानूनी सहायता के लिए आवेदन करने और पीड़ितों को मुआवजे की मांग करने में मदद करेगा।