@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (9 अगस्त, 2021)
कोविड ने न केवल जिंदगियां छीन ली बल्कि हजारों परिवारों को आर्थिक रूप से तबाह कर दिया है। हजारों परिवार कोविड की दूसरी लहर में वायरस से प्रभावित अपने रिश्तेदारों के इलाज के लिए पैसे जुटाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
कोलकाता में 30 वर्षीय जीतपाल सिंघा एक महीने से अधिक समय से ईसीएमओ के एक अस्पताल में एक लाइफ सपोर्ट मशीन पर हैं, जिसका खर्च डेढ़ लाख रुपये प्रतिदिन है। डॉक्टरों ने उनके परिवार से कहा है कि उसे अगले 30 दिन और उस मशीन पर रहने की जरूरत है। उनकी जमा पूंजी खत्म हो गई है। उनका परिवार उनके इलाज के लिए एक-एक पैसा जुटाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
उनकी मां अल्पना सिंघा यह भी नहीं सोच रही हैं कि आगे क्या हो सकता है। वह आईसीयू में उनसे थोड़ी देर मिलने के बाद अस्पताल छोड़ते हुए केवल उसके उनसे गुडबाय कहने के बारे में सोचती हैं। उन्होंने कहा “वह बोल नहीं सकता क्योंकि उसके गले में पाइप लगे हैं, लेकिन जैसे ही मैं जा रही थी, उसने संकेत दिया कि मुझे उसकी एक तस्वीर लेनी चाहिए। और उसने विक्ट्री साइन बनाया।”
अपने आंसुओं पर काबू पाने के लिए संघर्ष करती है। उसके पति इन हालात में कुछ दिनों के लिए एक आश्रम में जाने लगे हैं। उनका इकलौता बच्चा दो महीने से अस्पताल में है। ईसीएमओ मशीन पर अगले 30 दिनों के लिए रोजाना डेढ़ लाख रुपये, यानी कम से कम 45 लाख रुपये की जरूरत है।
जीतपाल के चचेरे भाई देबंजन बर्मन उनके लिए दिल्ली से लड़ाई कर रहे हैं। पिछले दो महीने से वह और जीतपाल के दोस्त उसके इलाज के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे हैं।