एक और घोटाले पर रिपोर्ट दर्ज करने की तैयारी
आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी पर सवाल
विनोद भगत
काशीपुर। सिंचाई विभाग घोटालों और घोर वित्तीय अनियमितताओं के चलते खासी चर्चा में है। घोटाले के एक मामले में शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुई। एक मामले में एफआईआर दर्ज तो हो गई लेकिन गिरफ्तारी को टाला जा रहा है। क्या इन दोनों मामलों में आरोपितों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है? सिंचाई विभाग में एक के बाद एक घोटालों और वित्तीय अनियमितताओं की पोल खुलनी शुरू हो गई है। ये सारे मामले 2012 से लेकर 2017 – 18 वित्तीय वर्ष के हैं। 1.90करोड़ के टीडीएस घोटाले में अभी गिरफ्तारी भी नहीं हो पाई है कि एक और घोटाले का मामला सामने आया है। इस मामले में जून के पहले सप्ताह में एफ आई आर के निर्देश होने के बावजूद अभी तक विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिन मामलों में में जांच के बाद रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। उसमें बाजपुर विधानसभा क्षेत्र के महुआखेड़ागंज और मुंडियाकला में सिंचाई विभाग के निरीक्षण भवन में स्वीकृत वित्तीय राशि से अधिक की धनराशि खर्च करने, तमाम योजनाओं में शासन से स्वीकृत बजट आवंटन के सापेक्ष बिना अनुमति के भारी भरकम धनराशि खर्च करने के आरोप हैं। इन मामलों की जांच के उपरांत उत्तराखंड शासन के सचिव भूपेन्द्र कौर औलख ने तत्कालीन अधिशासी अभियंता रामसकल आर्य के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करने के स्पष्ट आदेश दिए। एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी विभाग की सुस्ती सवालों के घेरे में है। वहीं सूत्र बताते हैं कि अगले एक दो दिन में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज करने की कवायद शुरू हो गयी है। लेकिन इन मामलों में जिस सुस्त गति से तरह से विभाग कार्रवाई कर रहा है उससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि घोटाले के दोषी अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इससे साबित होता है कि उत्तराखंड सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावों को धता बताते हुए राज्य के सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों में लालफीताशाही हावी है। घोटालों के उजागर होने के बावजूद उसमें कार्रवाई के नाम पर आरोपितों को बचाव का पूरा अवसर दिया जा रहा है। आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि शासकीय आदेशों को भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों के घोटाले प्रकाश में आने के बाद शासन की ओर से रिपोर्ट दर्ज करने के स्पष्ट आदेश जारी हो जाते हैं। इसके बावजूद रिपोर्ट दर्ज करने में देरी विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। हाल ही में राज्य में सिंचाई विभाग में करोड़ों का घोटाला विभागीय जांच में सामने आया है। इस मामले में उत्तराखंड शासन के सचिव ने एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए पर विभागीय अधिकारी मामले की रिपोर्ट दर्ज कराने से बच रहे हैं। हालांकि अभी हाल ही में 1.90 करोड़ के घोटाले में आयकर विभाग की सहायक आयुक्त अमनदीप कौर की ओर से एफआईआर दर्ज तो करा दी गई है। लेकिन इस मामले में अभी तक आरोपित से जांच के नाम पर कार्रवाई का दिखावा हो रहा है।