@शब्द दूत ब्यूरो (4 अगस्त 2021)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवाह के लिए धर्म परिवर्तन को गलत बताते हुए कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन करना अनुचित है। जोधा अकबर का उदाहरण देते हुए कोर्ट ने कहा कि अलग अलग धर्म के बीच हुई शादी में भी सम्मान होता है। यह हमें जोधा अकबर से समझना और सीखना चाहिए। अकबर ने कभी भी जोधा का धर्म परिवर्तन नहीं कराया। दोनों ही एक दूसरे के धर्म और संस्कृति का पूजा पद्धति का सम्मान करते रहे।
गैरजरूरी धर्मांतरण से बचने की सलाह देते हुए कोर्ट ने कहा जिस तरह जोधा-अकबर की शादी में कभी भी धर्म आड़े नहीं आया। यह रिश्ता दो धर्मों के लोगों को बीच शादी का एक सबसे बेहतरीन उदाहरण है।
यह टिप्पणी हाईकोर्ट ने एक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की। एटा जिले के जावेद की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि धर्म आस्था से जुड़ा विष्य है। ईश्वर के प्रति आस्था होने के लिए जरूरी नहीं कि किसी विशेष पूजा पद्धति के जरिए ही यह हो। कोर्ट ने कहा कि शादी के लिए जरूरी नहीं है कि लड़की और लड़का दोनों एक ही धर्म के हों। ऐसे में सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना गलत है।
बता दें कि जावेद ने एक हिंदू लड़की से शादी की और उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की थी।