@शब्द दूत ब्यूरो (27 जुलाई 2021)
देहरादून । चार साल पहले के एक वीडियो को दो दिन से सोशल मीडिया पर फिर पोस्ट किया जा रहा है। नवंबर 2017 में एक मौलवी द्वारा बद्रीनाथ धाम को मुस्लिमों कि स्थान बताया गया और एक वीडियो भी जारी किया गया। उस समय राज्य भर में मौलवी के इस बयान का जमकर विरोध और आलोचना हुई। बाद में मौलवी ने अपने बयान पर माफी मांग ली।
एकाएक मौलवी के उस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर फारवर्ड किया जा रहा है और इसके साथ लिखा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड में प्रवेश का रूझान सामने आने लगा है।
शब्द दूत ने उत्तराखंड में बवाल मचाने वाले सोशल पर चल रहे इस संदेश की वास्तविकता का पता लगाया। अगर इन दिनों किसी मौलवी ने इस तरह की बात की है तो यह राज्य के लिये अच्छा नहीं है और ऐसे लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
नवंबर 2017 में दैनिक पंजाब केसरी में एक खबर इस मामले को लेकर छपी थी। वह खबर यहाँ हूबहू दी जा रही है।
हिंदुओं के सबसे बड़े धार्मिक स्थल बद्रीनाथ को बदरूद्दीन शाह की मजार बताने वाले मौलाना ने शनिवार को माफी मांग ली है। दारूम उलूम निस्वा देवबंद के मोहत्मिम मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने कहा था कि बद्रीनाथ धाम बदरूद्दीन शाह की मजार है।
मौलाना लतीफ ने कहा कि उन्होंने यह बयान इस बात से नाराज होकर दिया था कि कुछ हिंदू संगठन ताज महल को शिव मंदिर बता रहे थे। उन्होंने कहा कि जैसे हिंदू संगठनों के ताजमहल को शिव बताने से वह मंदिर नहीं हो गया, उसी तरह बद्रीधाम को बदरूद्दीन शाह की मजार बताने से वह मजार नहीं हो गया।
मौलाना लतीफ ने कहा कि भारत अनेक मजहबों और संस्कृतियों का देश है। जहां सभी संस्कृति और मजहब फले फूले हैं। हिंदू और मुसलमानों का कर्तव्य बनता है कि वे एक-दूसरे के अस्तित्व को स्वीकारे और समान दें। उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ धाम संबंधी उनके बयान से हिंदू भाईयों की भावनाओं को ठेस पहुंची है वह इससे खुद भी दु:खी और शर्मिन्दा है। इसके लिए वे सभी से मांफी मांगते हैं।