@शब्द दूत ब्यूरो(26 जुलाई 2021)
@विनोद भगत
काशीपुर । कारगिल युद्ध में घायल हुये हवलदार विनोद नेगी अपने उन दिनों को याद करते हैं जब दुश्मन की गोलीबारी से और बम के हमले में उनके कई साथी जवान हताहत हो गये। लेकिन आज भी कारगिल का यह योद्धा सरकारी मदद के इंतजार में है। यह अपने आप में बिडम्बना है। विनोद नेगी कहते हैं कि उनके मन में इस बात का हमेशा मलाल रहता है कि सरकारों ने उन्हें व उनके परिवार को किसी तरह का सम्मान या मदद नहीं दी। वह कहते हैं कि सरकारों को युद्ध में घायल सैनिकों के परिवारों की सुध लेनी चाहिए।
अगस्त 2017 में सेना की 24 साल की सेवा के बाद विनोद नेगी काशीपुर में मानपुर रोड पर अपने परिवार के साथ रहते हैं।
शब्द दूत से बात करते हुए विनोद नेगी कहते हैं कि उनकी बटालियन 18 गढ़वाल रायफल्स को कारगिल युद्ध के दौरान तोलोलिंग पर भेजा गया था। जहाँ उनकी बटालियन ने दुश्मनों से डटकर मोर्चा लिया। विनोद नेगी कहते हैं कि हमने अभियान फतह कर देश का तिरंगा तोलोलिंग पर फहरा दिया। लेकिन इस अभियान में हमारे 18 जवान शहीद और 58 जवान घायल हो गए। 25 जून 1999 को जब उनकी बटालियन दुश्मनों से मोर्चा ले रही थी कि दुश्मन के बमों ने उन पर हमला कर दिया इस हमले में उस दिन छह जवानों की शहादत हुई जबकि वह स्वयं बम लगने से बुरी तरह घायल हो गये। उनका घुटना और चेहरा क्षतिग्रस्त हो गया। चेहरे पर बम के टुकड़े घुसे हुये थे। भीषण बर्फबारी की वजह से से उनकी नाक से लगातार बहने वाला खून जम गया था। किसी तरह उन्हें स्ट्रेचर पर डालकर अस्पताल पहुंचाया गया। पूरा चेहरा पट्टियों से बंधा था। दो दिनों तक वह अपना चेहरा नहीं देख पाये। उन्हें लग रहा था कि उनका चेहरा बेकार हो गया। वह डाक्टरों से कहते रहे कि मुझे शीशा दें मैं अपना चेहरा देखना चाहता हूँ पर मुझे नहीं दिखाया गया। देखिए वीडियो में सेवानिवृत्त हवलदार विनोद नेगी की पूरी दास्तान।