रामनगर से नितेश जोशी
रामनगर कॉर्बेट नेशनल पार्क की सीमा से सटे पाँच गाँवों के ग्रामीणों ने ईको सेंसिटिव जोन में शामिल करने के विरोध में गुरूवार को जुलुस प्रदर्शन के साथ अपना विरोध दर्ज कराया | जुलुस की शक्ल में रामनगर पहुँचे हज़ारो ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की | उन्होंने दो टूक कहा की ईको सेंसिटिव जोन किसी भी हालत में उन्हें मंजूर नहीं होगा | गौरतलब है कि कॉर्बेट पार्क वार्डन शिवराज चंद की अध्यक्षता में नगरपालिका परिषद् के आडिटोरियम हाल में ईको सेंसिटिव जोन को लेकर एक जनसुनवाई का आयोजन किया गया था | जिसमे पाँचो गाँवों के ग्रामीणों ने भाग लिया | इस मौके पर विभिन्न वक्ताओं ने बोलते हुए कहा कि ईको सेंसिटिव जोन ग्रामीणों के लिए घातक है | वन क्षेत्रो में जोड़े जाने के कारण इस गाँवों का विकास अवरुद्ध हो जायेगा छोटे छोटे कामो के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी पड़ेगी और ग्रामीण छोटे मोटे उद्योग आदि भी नहीं लगा पायेंगे | ईको सेंसिटिव जोन के विरोध में लगभग एक हज़ार लोगो ने एक एक करके ज्ञापन के माध्यम से नाम सहित अपनी अपनी आपत्तियाँ कॉर्बेट प्रशासन के समक्ष दर्ज कराई है | वहीँ कॉर्बेट के अधिकारी का कहना है कि इस विषय में जनसुनवाई का आयोजन किया गया था | जिसमे ग्रामीणों ने ईको सेंसिटिव जोन को लेकर आपत्तियाँ दर्ज करायी है | उनका कहना है कि ईको सेंसटिव ज़ोन को सरकार द्वारा बहुत सरल कर दिया गया है | कॉर्बेट के कोर जोन की सीमा से एक किलोमीटर तक नाप में आने वाले गाँवों को शामिल किया जा रहा है | जिसमे पिछले नियम के मुकाबले इस नियम में अधिकाँश गाँव ईको सेंसिटिव ज़ोन से बाहर हो गये हैं | उनका कहना है कि इस विषय में ग्रामीणों को ज्यादा जानकारी नहीं है कुछ लोगो द्वारा उन्हें भ्रमित किया जा रहा है | आपको बता दे कि पूर्वी सांवल्दे,पश्चिमी सांवल्दे,ढेला,ढिकुली और ढेला बंदोबस्ती पाँचो गाँव ईको सेंसिटिव जोन की ज़द में आ रहे है| जिनके आने से ग्रामीण परेशान है |
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