@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते अप्रैल-मई महीने में देश में कोहराम देखने को मिला। कोरोना के लाखों मामले आए और हजारों की संख्या मौतें हुईं। श्मशान घाट में शव का अंतिम संस्कार करने के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ा। इधर, दूसरी लहर के दौरान संक्रमण से मरने वालों की राख का उपयोग करके मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक श्मशान घाट में पार्क विकसित किया जा रहा है।
यह पार्क भोपाल के भदभदा विश्राम घाट पर विकसित किया जा रहा है। इसमें कोविड पीड़ितों की राख के 21 ट्रक का उपयोग होगा। राख को भदभदा विश्राम घाट में रखा गया था क्योंकि कोरोना वायरस से जुड़े प्रतिबंधों के चलते परिवारों इसे नहीं ले जा सके थे और राख के उचित निपटान ने प्रबंधन के सामने भी चुनौती पेश की।
श्मशान की प्रबंधन समिति के सचिव ममतेश शर्मा ने बताया, “15 मार्च से 15 जून तक 90 दिनों के दौरान भदभदा विश्राम घाट में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 6,000 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया गया। ज्यादातर परिवार अस्थियां तो ले गए, लेकिन कोरोना प्रतिबंधों के चलते राख को यही छोड़ गए।”
उन्होंने कहा कि जिसकी वजह से श्मशान में 21 ट्रक राख रह गई। राख को नर्मदा नदी में प्रवाहित करना पर्यावरण के अनुकूल नहीं था। ऐसा करने से नदी प्रदूषित हो सकती थी। इसलिए हमने राख से पार्क विकसित करने का फैसला किया।


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