हल्द्वानी में आज सेंचुरी पेपर मिल द्वारा प्रदूषण की शिकायत को लेकर आज बिंदुखत्ता क्षेत्र के आसपास के दर्जनों निवासी हल्द्वानी स्थित प्रदूषण बोर्ड के कार्यालय पहुंचे। जहाँ उन लोगों ने क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी का घेराव करते हुए अपनी समस्या बताई। क्षेत्रीय अधिकारी डी के जोशी ने सभी लोगों की बात को सुनते हुए कहा कि मिल के अंदर प्रदूषण नियंत्रण के मानकों का भली भांति पालन हो रहा है। क्षेत्रीय अधिकारी के यह कहने पर घेराव कर रहे लोग संतुष्ट नहीं दिखाई दिये। उन्होंने एक बोतल में वहां से लिया गया पानी दिखाते हुए कहा कि इस तरह का पानी लोगों को बीमार बना रहा है। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने शब्द दूत को बताया कि इस पानी को बिसलरी की बोतल में भरकर इन नेता प्रशासन और बड़े जनता के ठेकेदारों को भिजवाया जाए। इन सेंचुरी के बड़े अधिकारी जो कहते हैं हम शुद्ध पर्यावरण दे रहे हैं। उन्हें पीने के लिए परोसा जाए।प्रदर्शनकारियों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को चेतावनी दी है कि समय रहते उसने प्रदूषित नाले को भूमिगत करवाने की दिशा में उचित पहल नहीं की तो जनता आंदोलन के लिए सड़कों पर आएगी।इस मामले को लेकर बिंदुखत्ता राजस्व गांव संघर्ष समिति द्वारा भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की गई है।प्रदर्शन व घेराव करने वालों में कमल मेहरा, हरीश बिसौती, कमल सिंह जीना, आनंद बिष्ट, बसंत पांडे, भगवत पांडे, नवीन सिंह नेगी, लाल सिंह, विक्रांत गौतम, चंदन बौरा, देवेंद्र बिष्ट, दिनेश सिंह, विजय चंदोला, हिमांशु जोशी समेत अनेक लोग शामिल थे।
क्या कहते हैं प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी
इस मामले में क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी डी के जोशी से शब्द दूत की दूरभाष पर हुई वार्ता में उन्होंने बताया कि सेंचुरी पेपर मिल के भीतर प्रदूषण का स्तर मापने के लिए मानकों के तहत आवश्यक उपकरण लगाये गये हैं। उनके अनुसार ये उपकरण सेंसर से कनेक्ट हैं। प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से ऊपर जाते ही संबंधित विभागों को इसकी सूचना प्राप्त हो जाती है। वहीं देश की तमाम प्रदूषण पर नजर रखने वाली संस्थायें समय समय पर इसकी जांच करती रहती हैं। काली राख के संबंध में क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी का तर्क था कि 15 – 20 दिन मिल के अंदर आग लगने की घटना हुई थी जिस वजह से ये राख उड़ रही थी। अब वह समस्या हल कर ली गई है। बिंदुखत्ता के नालों में केमिकल युक्त प्रदूषित पानी को लेकर क्षेत्रीय अधिकारी का कहना था कि उससे उनके विभाग का ताल्लुक नहीं है। प्रदूषण को लेकर केवल एक ही विभाग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ही जिम्मेदारी नहीं है। और भी कई विभाग हैं। बहरहाल शब्द दूत से हुई वार्ता में क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी ने पूरी तरह से पेपर मिल का पक्ष ही रखा। प्रदूषित पानी और राख से हो रही बीमारियों और लोगों की समस्याओं को क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी ने अनदेखा कर दिया।