कुंठित मानसिकताओं से उपजी लापरवाहियां
अमित कुमार सैनी
सरकार जहां स्वच्छ भारत अभियान चलाये जाने के लिये ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं, वहीं उसी केंद्रीय सरकार का बाजपुर स्थित दूर संचार विभाग, पर्यावरण प्रदूषण की सरेआम धज्जियां उड़ा रहा है।
यहां बाजपुर मंडी स्थित दूर संचार केन्द्र के मुख्यद्वार पर पिछले तीन दिनो से लगातार भारी संख्या में थर्मोकोल के कचरे को सरेआम जला कर बाजपुर के स्वस्थ्य वातावरण को प्रदूषित किया जा रहा है। थर्माेकोल के जलाने के बाद उठ रहे काले बदबूदार धुएं से आस पास के नागरिकों को सांस लेने में भारी तकलीफ हो रही हैं।
बाजपुर टैलीफोन एक्सचेंज के वरिष्ठअधिकारी,कर्मचारियों की इस लापरवाही को लगातार नजरअंदाज कर आमजन के समक्ष परेशानिया उत्पन्न करते नजर आ रहें हैं।
गौरतलब है कि थर्मोकोल बनाने में कई ऐसे ठोस उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है, जो पानी में घुलनशील नहीं होते। इसके अलावा इसे बनाने में तेल, ग्रीस, सल्फाइट और अन्य कई रासायनिक उत्पादों जैसे लेड, मरकरी, आयरन और एल्युमिनियम का इस्तेमाल किया जाता है। यह पानी में घुलनशील तत्व नहीं होते और यह नदियों और नालों को प्रदूषित करने के साथ नालियों में भी अवरोध पैदा करते हैं। इसे जलाने के दौरान इससे पैदा होने वाला धुआं पूरे वायुमंडल को प्रदूषित करता है।
थर्मोकोल के उत्पादन के दौरान इससे रिसने वाली गैस के कारण ओजोन परत पर इसका बुरा असर होता है। चूंकि इसे बनाने में टेरीन /पोलीस्ट्रिन का इस्तेमाल होता है, जिसके वजह से इसे बनाने के बाद इसका कूड़ा भी न केवल हमारे वायुमंडल को प्रदूषित करता है बल्कि जलाने से पैदा होने वाला धुआं ग्लोबल वार्मिंग के साथ हवा को भी विषैला बनाता है। थर्मोकोल का धुंआ सीधा फेफड़ों में अटकता है जिससे गम्भीर बिमारियों को न्योता मिलता है।
बाजपुर के क्षेत्रीय प्रशासन को सरेआम हो रहे इस गम्भीर श्रेणी के अपराध पर तत्काल संज्ञान लेकर आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिए।
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