पूर्व न्यायाधीश एवं वरिष्ठ साहित्यकार डा. चन्द्रभाल सुकुमार का गज़ल संग्रह ‘आदमी अरण्यों में’ प्रकाशित। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के जिला वाराणसी में निवासरत स्वभाव से मृदुभाषी लेखक डा. सुकुमार ने बताया कि ‘आदमी अरण्यों में’ शीर्षक भले ही तीन शब्दों का है लेकिन यह तीन शब्दों का शीर्षक ही बहुत कुछ कह सकने में समर्थ है। उन्होनें कहा कि हर आदमी के मन में एक ‘अरण्य’ होता है, चाहे कितना ही छोटा क्यों न हो। तुलसी के ‘मानस’ में भी एक ‘अरण्य’ है। राम का वह जीवन जो राम को ‘राम’ बनाता है, इसी ‘अरण्य’ से प्रारम्भ होता है। आज की गजल भी तरह-तरह के आरण्यक संदर्भों में खो गयी है। कलम रुकनी नहीं चाहिए। बस, इसी साधना-याचना-आराधना-अर्चना-आशा- अभिलाषा और विश्वास के साथ कि-
जो कि कहना चाहती है,
आज कहने दो गजल को।
डा. चन्द्रभाल सुकुमार के गज़ल के क्षेत्र में योगदान का महत्व इस बात से लगाया जा सकता है, डॉ0 भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा ‘‘समकालीन हिन्दी गजल को चन्द्रभाल सुकुमार का प्रदेय’’ विषयक शोध प्रबन्ध पी.एच.डी. हेतु स्वीकृत है।
डा. चन्द्रभाल सुकुमार के बारे में बतातें चले कि 35 वर्षों की न्यायिक सेवा के उपरांत जनपद न्यायाधीश, इलाहाबाद के पद से 2010 में सेवा निवृत्त होने के बाद 2011 में राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ में वरिष्ठ न्यायिक सदस्य के पद पर नियुक्त एवं प्रभारी अध्यक्ष के पद से 2016 में सेवा-निवृत्त रह चुके है। डा. सुकुमार काव्यायनी साहित्यिक वाटिका (तुलसी जयंती, 1984) के संस्थापक-अध्यक्ष है।
प्राची डिजिटल पब्लिकेशन के डायरेक्टर राजेन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया कि डा. चन्द्रभाल सुकुमार का यह गज़ल संग्रह बहुत ही शानदार है, जो पाठकों को बहुत ही पसंद आयेगा। उन्होने कहा कि डा. सुकुमार जी का गज़ल के क्षेत्र में अुतलनीय योगदान है। जिसका कोई मूल्य नहीं लगाया जा सकता है। उन्होने कहा कि इस पुस्तक को अमेजन, फिल्पकार्ट व स्नेपडील पर डिस्काउंट के साथ आर्डर की जा सकती है।
डा. चन्द्रभाल सुकुमार की अब तक लगभग 2 दर्जन से अधिक गज़ल संग्रह प्रकाशत हो चुके है। इसके अलावा डा. सुकुमार के अब तक दो दर्जन से अधिक सह-संकलनों में रचनाएं संकलित, प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से प्रसारित भी होती रहती है। डा. चन्द्रभाल सुकुमार को उनके गज़ल एवं साहित्य के क्षेत्र में अतुल्नीय योगदान के लिए शताधिक साहित्यिक, सांस्कृतिक, न्यायिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित/अलंकृत किया जा चुका है।
जो कि कहना चाहती है,
आज कहने दो गजल को।
डा. चन्द्रभाल सुकुमार के गज़ल के क्षेत्र में योगदान का महत्व इस बात से लगाया जा सकता है, डॉ0 भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा ‘‘समकालीन हिन्दी गजल को चन्द्रभाल सुकुमार का प्रदेय’’ विषयक शोध प्रबन्ध पी.एच.डी. हेतु स्वीकृत है।
डा. चन्द्रभाल सुकुमार के बारे में बतातें चले कि 35 वर्षों की न्यायिक सेवा के उपरांत जनपद न्यायाधीश, इलाहाबाद के पद से 2010 में सेवा निवृत्त होने के बाद 2011 में राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ में वरिष्ठ न्यायिक सदस्य के पद पर नियुक्त एवं प्रभारी अध्यक्ष के पद से 2016 में सेवा-निवृत्त रह चुके है। डा. सुकुमार काव्यायनी साहित्यिक वाटिका (तुलसी जयंती, 1984) के संस्थापक-अध्यक्ष है।
प्राची डिजिटल पब्लिकेशन के डायरेक्टर राजेन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया कि डा. चन्द्रभाल सुकुमार का यह गज़ल संग्रह बहुत ही शानदार है, जो पाठकों को बहुत ही पसंद आयेगा। उन्होने कहा कि डा. सुकुमार जी का गज़ल के क्षेत्र में अुतलनीय योगदान है। जिसका कोई मूल्य नहीं लगाया जा सकता है। उन्होने कहा कि इस पुस्तक को अमेजन, फिल्पकार्ट व स्नेपडील पर डिस्काउंट के साथ आर्डर की जा सकती है।
डा. चन्द्रभाल सुकुमार की अब तक लगभग 2 दर्जन से अधिक गज़ल संग्रह प्रकाशत हो चुके है। इसके अलावा डा. सुकुमार के अब तक दो दर्जन से अधिक सह-संकलनों में रचनाएं संकलित, प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से प्रसारित भी होती रहती है। डा. चन्द्रभाल सुकुमार को उनके गज़ल एवं साहित्य के क्षेत्र में अतुल्नीय योगदान के लिए शताधिक साहित्यिक, सांस्कृतिक, न्यायिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित/अलंकृत किया जा चुका है।