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अमीर होते गांव ने छीना देश के लोगों का सुख चैन

बगैर शिक्षा के बेशुमार दौलत 

विनोद भगत /वेद भदोला

(जामताड़ा  झारखंड का एक पिछड़ा जिला है। इस पिछड़े जिले की हकीकत जानकर आप हैरान हो जायेंगे। यहां के लोगों के पास एकाएक बेशुमार दौलत आ गयी है। बताते हैं कि इस जिले का शैक्षिक स्तर बहुत ही गिरा हुआ है। यहां के लोगों के पास आयी बेशुमार दौलत पूरे देश के लिये गंभीर चिंता का विषय बन गया है। आप कहेंगे कि ऐसा क्यों? 22 राज्यों की पुलिस के लिए सिरदर्द बना यह जिला देश में डिजिटल क्रांति की वजह से अमीर बन गया है। और इस जिले के अन्तर्गत आने वाले करमाटांड और नारायणपुर के युवाओं को तो बगैर उच्च शिक्षा के ऐश की जिंदगी हासिल हो गई है।) 

चलिये, अब सस्पेंस खत्म करते हुए आपको असलियत से रूबरू कराते हैं। दरअसल देश भर में साइबर ठगी के जरिए आपके बैंक से रकम उड़ाने के 80 प्रतिशत फोन आपके मोबाइल पर यहीं से आते हैं। आये दिन यहां के साइबर अपराधी कोई ना कोई घटना को अंजाम दे देते हैं. जामताड़ा के करमाटांड़-नारायणपुर इलाके आज साइबर बैंक ठगी के गढ़ बन चुके हैं।इलाके के गांवों के किशोर व युवा धड़ाधड़ साइबर अपराध के दलदल में धंसते चले जा रहे हैं।इस कारण क्षेत्र के अर्थशास्त्र से लेकर समाजशास्त्र तक बदल रहे हैं। यहां से जो लोग दूर दराज के क्षेत्रों में नौकरी करने गये हैं उन्हें अपने गाँव और जिले के बारे में बताने में शर्म और डर महसूस होता है कि कहीं उन्हें ठग न समझ लिया जाये। बेशुमार दौलत कमाने वाला यह जिला कुख्यात हो चुका है।    एक समय था जब इस जिले का गांव करमाटांड  स्वतंत्रता सेनानी ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि होने के कारण  विख्यात था। करमाटांड़ देश भर की पुलिस के रडार पर है. ऐसा इसलिए कि देश भर में लोगों के बैंक खाते से रुपये उड़ानेवाली साइबर ठगी के अधिकतर आरोपी इसी करमाटांड़ और पड़ोसी थाना क्षेत्र नारायणपुर से ताल्लुक रखते हैं।बताया जाता है कि इस इलाके के   साइबर ठगी का पुलिस रिकॉर्ड इस बात को प्रमाणित करता है यह इलाका बैंक खाते से रुपया उड़ाने के मामले में नंबर एक पर है। करमाटांड और नारायणपुर  थाना क्षेत्रों में साइबर क्राइम की पड़ताल के लिए दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, अंडमान-निकोबार, ओड़िशा, जम्मू कश्मीर समेत 22 राज्यों की पुलिस पहुंच चुकी है।शायद ही कोई दिन जाता हो जब किसी राज्य की पुलिस साइबर क्राइम के सिलसिले में यहां न आई हो।   हर दिन किसी न किसी राज्य व जिले की पुलिस यहां आरोपियों की खोज में आती है।पिछले पांच सालों की अगर बात करें तो सैकड़ों की संख्या में यहां से साइबर अपराधियों को पुलिस गिरफ्तार कर ले जा चुकी है।अब तो इस इलाके के     कालाझरिया, झिलुवा, कांसीटांड़, सियांटांड़, शीतलपुर, मोहनपुर, सिकरपुसनी सहित दर्जनों गांव और देवघर जिले का करौं, आसनबनी, चितरा घोरमारा, गिरिडीह जिले का बेंगाबाद, गांडेय, धनबाद जिले का निरसा, गोविंदपुर व टुंडी में फैल रहा है।  2015 से लगातार करमाटांड़ व नारायणपुर पुलिस की छापेमारी जारी है. अन्य राज्यों की पुलिस अब तक  कई दर्जन  साइबर ठगों को गिरफ्तार कर चुकी है।  इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी जामताड़ा व अन्य जिलों की पुलिस द्वारा करीब 100 से अधिक साइबर ठगी के आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। संगठित तरीके से  1000 युवाओं का सिंडिकेट  बना हुआ है ऐसा बताते हैं।   करमाटांड़ थाना क्षेत्र में कुल 150 गांव हैं।  पुलिस के आंकड़ों की मानें तो 100 गांवों के युवा साइबर अपराध से जुड़ गये हैं. इस काम में 12 से 25 साल के करीब 80 प्रतिशत युवा जुड़े हुए हैं।1000 से अधिक युवाओं का सिंडिकेट भी चल रहा है।किसी भी व्यक्ति से एटीएम नंबर व पिन जानने के बाद उनके खाते से रुपये उड़ाने में इन्हें महज तीन मिनट का ही समय लगता है।हैरत में डालने वाली बात तो यह है कि इन साइबर ठगों को उनके परिजनों की ओर से भी प्रोत्साहित किया गया है। आम आदमी की तो छोड़िये एक केन्द्रीय मंत्री तक से एक लाख अस्सी हजार रुपये, केरल के सासंद से एक लाख साठ हजार और एक सिने स्टार से भी लाखों की ठगी कर चुके हैं। देश का शायद ही कोई राज्य होगा जहाँ के लोगों को इन साइबर ठगों ने चूना न लगाया हो।एकाएक आये  बेशुमार धन ने यहाँ के लोगों की   जीवन-शैली ही बदल दी। बगैर  मेहनत हो रही अवैध पैदल चलने वाले लोग अचानक महंगी चमचमाती गाड़ियों में घूमने लगे हैं। दुख की बात तो यह है कि कि यह लोग अपने बच्चों को भी इसी राह पर धकेल रहे हैं।  दैनिक जीवन में पानी की तरह पैसे खर्च होते देख  नयी पीढ़ी गुमराह हो रही है, वहीं परिवार व समाज के लोग भी इनका समर्थन करने लगे हैं।  समाज में यह मैसेज जा रहा है कि बच्चों को बेहतर पढ़ाई कराने से अच्छा है साइबर अपराधी बनाना।जितना धन आम लोग जिंदगी भर में नहीं कमा पाते साइबर ठग कुछ महीनों में ही कमा ले रहे हैं।स्थिति यह है कि कतिपय युवाओं को जब मन होता है तो बंगाल आदि से नर्तकी लाकर अड्डे पर नचाते हैं और नोटों की गड्डी उड़ाते हैं।एक बार तो एक सिने अभिनेत्री के कार्यक्रम के लिए बात फाइनल कर ली गयी थी. इसके लिए 20 लाख रुपये बतौर एडवांस तक दे दिया गया था. प्रशासन को जानकारी हुई तो अनुमति नहीं दी गयी। इसके बाद उन लोगों का 20 लाख रुपये वापस भी नहीं हुए। इसका उन लोगों को कोई मलाल नहीं है।साइबर क्राइम को अंजाम देते हुए यहां के अपराधी देश के विभिन्न शहरों से अब तक करोड़ों रुपये उड़ा चुके हैं. तमिलनाडु में 200 से अधिक पुलिसकर्मी भी इनके शिकार बन चुके हैं. इनकी पहुंच कश्मीर से कन्याकुमारी तक हो चुकी है।बड़े अपराधी छोटे साइबर अपराधियों को शरण देते हैं और उनसे अपना काम करवाते हैं।बताया जाता है बाकायदा साइबर क्राइम का प्रशिक्षण देने के लिए केन्द्र खोल दिये गये हैं। 

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