सेंचुरी पेपर मिल के प्रदूषण से सड़कों पर काली राख और नालों का गंदा जहरीला पानी सबको दिखाई दे रहा है। लेकिन प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों और प्रशासन की आंखों पर आखिरकार कौन सी पट्टी चढ़ गई है जिस वजह से मौत बांटने वाली यह भयावह सच्चाई उन्हें नहीं दिखाई दे रही है। चित्रों में साफ दिख रहा है इसके बावजूद नागरिकों के जीवन से खिलवाड़ का नंगा नाच देख रहे बेशर्म प्रशासन को आखिर कब शर्म आयेगी।
यही है वह गंदा नाला जिस में बह रहा है सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल का केमिकल युक्त पानी इस खतरनाक केमिकल युक्त पानी से आसपास के किसानों को हो रही है भारी क्षति और उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है खतरनाक प्रभाव क्या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस नाले की जांच कराएगा। क्या कोई प्रशासनिक अधिकारी इस नाले के आसपास रहने वाले किसानों की समस्याओं को समझेगा और सुनेगा यह प्रश्न क्षेत्रवासियों को बार-बार खाए जा रहा है इस क्षेत्र के रहने वाले प्रदूषण प्रभावित लोग पैदा होते ही विभिन्न बीमारियों के शिकार हो रहे हैं क्या मानवाधिकार आयोग इस देश में केवल नाम मात्र का संगठन बन के रह गया है कोई मानवाधिकार कार्यकर्ता ईमानदारी से अपना फर्ज निभाएंगे क्षेत्र की जनता जानना चाहती है क्या उनके मानवाधिकारों की रक्षा होगी ?
या उन्हें सेंचुरी के प्रदूषण युक्त वातावरण से असमय होने वाली मौतों को झेलना होगा। इस प्रदूषण से हो रही असमय मौतों का जिम्मेदार कौन है?