काशीपुर । शहर में साहित्यिक गतिविधियां समय-समय पर होती रहती हैं। इस सप्ताह यहाँ पंजाबी सभा भवन में संपन्न एक साहित्यिक कार्यक्रम में मौजूद लोगों को भाव विह्वल कर दिया।
कार्यक्रम की विशेषता यह थी कि जिसके नाम पर यह साहित्यिक आयोजन किया गया था वह युवा रचनाकार दो माह पूर्व असमय ही बीमारी की वजह से काल कवलित हो गयी थी। शहर ही नहीं देश के जाने-माने साहित्यकार स्व डॉ लक्ष्मीनारायण कुशवाहा की धेवती अपूर्वा कुशवाहा की काव्य कृति “धरोहर” का विमोचन था। हालांकि इस मौके पर एक काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया था। कवियों ने अपनी रचनाऐं सुनाई। लेकिन अपूर्वा की मां प्रोफेसर पुनीता कुशवाहा, पिता कमलेश और वहाँ मौजूद नानी श्रीमती सावित्री कुशवाहा मामा सौमित्र कुशवाहा ने इस दौरान अपूर्वा के बाल जीवन से लेकर उसके अवसान तक की स्मृतियों को रूंधे गले से साझा किया।
कार्यक्रम में मौजूद हर शख्स महसूस कर रहा था परिवार के सदस्यों की पीड़ा को। उसके न रहने पर अपूर्वा की कृति का विमोचन सुखद था या दुखद। दोनों ही बातें अपनी जगह हैं। मां अपनी बेटी के कृतित्व को दुनिया के समक्ष प्रस्तुत कर एक और खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही थी। पुनीता का यह कहना कि आज अपूर्वा यहीं मेरे आसपास ही है। मां का ह्रदय यह मानने को तैयार नहीं था कि अपूर्वा नहीं है। और शायद हो भी नहीं सकता। कार्यक्रम में परिवार का हर शख्स का ह्रदय तो द्रवित ही था वहाँ उपस्थित हर किसी की आंख नम थी।
पर इतनी कम आयु में ऐसी प्रतिभावान शख्सियत कभी मरा नहीं करती। अपूर्वा कभी मर नहीं सकती। अपने नाना डॉ लक्ष्मीनारायण कुशवाहा की तरह अपूर्वा अपने शब्द संसार में जीवित रहेगी।
विमोचन कार्यक्रम में साहित्य दर्पण के सदस्य , और पूर्व प्रधानाचार्य लक्ष्मीप्रसाद गहतोड़ी ,के एन पंत एडवोकेट ,अनिल सारस्वत, श्रीमती अलका पाल, जितेंद्र सरस्वती, डॉ सुरेंद्र मधुर ,शेष कुमार सितारा ,वेदप्रकाश विद्यार्थी,टीना पुरोहित आदि मौजूद थे।