प्रदूषण से लोगों की जिंदगी खतरे में
सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल के प्रदूषण से परेशान लालकुआं निवासियों ने अब इसके विरूद्ध व्यापक स्तर पर आंदोलन छेड़ने का मन बना लिया है। ३३ साल पहले लालकुआं में स्थापित एशिया की सबसे बड़ी इस पेपर मिल से स्थानीय निवासियों में आस जगी थी कि इस मिल ले लगने के बाद यहाँ रोज़गार और व्यापार की समस्या काफी हद तक हल होगी लेकिन इसके उलट लालकुआं के लिए जहरीले प्रदूषण का पर्याय बन चुकी इस पेपर मिल से लोगों को गंभीर बिमारी और हताशा ही हाथ लगी है ऐसा यहाँ के स्थानीय निवासियों का कहना है । लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि सेन्चुरी पेपर मिल की वजह से यहां लोगो की जिन्दगी जहरीली हो गयी है। प्रदूषण के मामले में कार्र्वाई करने के लिए जिम्मेदार प्रर्यावरण विभाग के अधिकारियों से शिकायत करने का मतलब नक्कारखाने में तूती की आवाज़ बनकर रह गया है। चौबीस घंटे मिल से निकलने वाल धुंआ और कोयले की राख ने न जाने कितने लोगो को बीमारी की कगार पर खडा कर दिया है । सामाजिक कार्यकर्ता आनंद गोपाल बिष्ट ने सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से मुहीम शुरू कर इस मामले को और गरमा दिया है।
गौतमी समिति की रिपोर्ट भी दबा दी प्रशासन ने
1990 में गौतम समिति की रिपोर्ट में यह स्पष्ट था कि सेंचुरी से निकलने वाले नाले के कारण बिंदुखत्ता और आसपास के लोग प्रभावित हो रहे हैं। समिति द्वारा पीने के पानी के 10 सैंपल आगरा लैब में टेस्ट करने के लिए भेजे गए। जिसमें से 8 सैंपल का पानी पीने के योग्य नहीं था। इस पर जिला अधिकारी स्तर पर निर्णय लिया गया सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल से निकलने वाले नाले को भूमिगत किया जाएगा तथा प्रभावित क्षेत्र को सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल चिकित्सा शिक्षा तथा अन्य सुविधाएं मुहैया कराएगा। साथ ही साथ स्थानीय लोगों को 80% रोजगार दिया जाएगा। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इस रिपोर्ट को दबा दिया गया।
इस मिल से प्रभावित इलाकों में लालकुआं,बिन्दुखत्ता, हल्दूचौड़ और शांतिपुरी के लोग शासन प्रशासन से गुहार लगा कर थक चुके हैं लेकिन लोगों के स्वास्थ्य को लेकर कोई गंभीर नहीं दिखाई देता। स्थानीय लोगों में यहाँ के जनप्रतिनिधियों को लेकर भी आक्रोश है। जनप्रतिनिधियों की चुप्पी को लेकर जनता में आश्चर्य है। वही देश के सुप्रसिद्ध बिड़ला घराने की इतनी बडी मिल में प्रदूषण कम करने के लिये कोई भी पुख्ता इंतजाम नही किये गये है ।उधर पेपर मिल के अधिकारियों का कहना है कि मिल प्रदूषण के नियंत्रण के लिए सभी मानकों का पालन कर रही है .
बिंदुखत्ता राजस्व गांव संघर्ष समिति ने उठाया आंदोलन का बीड़ा
बिंदुखत्ता राजस्व गांव संघर्ष समिति के बैनर तले हुई बैठक में बिंदुखत्ता राजस्व गांव को लेकर चर्चा की गई। सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल से निकलने वाले जहरीले धुएं और राख के कारण हो रही तमाम बीमारियों पर चिंता जताई। मिल से निकलने वाले गंदे नाले के कारण हो रही बीमारियों से प्रभावित बिंदुखत्ता वासियों को निजात दिलाने के लिए भी परिचर्चा की गई। जिसमें वक्ताओं ने कहा कि सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल का जल वायु एवं ध्वनि प्रदूषण बदस्तूर जारी है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बैठक में फैसला लिया गया कि बिंदुखत्ता राजस्व गांव संघर्ष समिति के बैनर तले दिनांक 12 जून को कालिका मंदिर बिंदुखत्ता में एक विशाल बैठक कर बिंदुखत्ता राजस्व गांव के संघर्ष एवं पेपर मिल से हो रहे प्रदूषण के खिलाफ रणनीति बनाई जाएगी। तथा बिंदुखत्ता क्षेत्र में बिजली विभाग की मनमानी को ले कर भी आक्रोश व्यक्त किया गया।बिजली के खम्भे न लगाने व नए विद्युत संयोजनो का उपलब्ध न कराया जाना भी चर्चा का विषय रहा। साथ ही साथ बिंदुखत्ता क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन में वन विभाग की मिलीभगत के चलते भ्रष्ट कर्मचारियों पर वन विभाग द्वारा कोई कार्यवाही न किए जाने को लेकर भी आंदोलन किया जाएगा। बैठक में मुख्य रूप से बिंदुखत्ता संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक आनंद गोपाल सिंह बिष्ट संयोजक रज्जी बिष्ट ,दानी सिंह कोरंगा, कैप्टन प्रेम सिंह कोरंगा, जीवन जोशी, सहित एक दर्जन कार्यकर्ता उपस्थित थे।