घोटाले खुलने का क्रम जारी *सरकारी अस्पताल के दम पर चल पायेगी योजना *मरीजों से ज्यादा घोटालेबाजों को हो रहा फायदा *अस्पताल प्रबंधन भुगतान न होने से परेशान
विनोद भगत
अटल आयुष्मान योजना को लेकर किये जा रहे बड़े बड़े दावे फेल होते नजर आ रहे हैं। धीरे-धीरे करके जिन अस्पतालों को इस योजना में रखा गया था, उन पर एक एक कर घोटाला करने के आरोप लगने लगे हैं। आखिरकार सरकार की इस योजना में क्या खामी है जिसका लाभ कथित रूप से घोटाला करने वाले डाक्टर या अस्पताल उठा रहे हैं। एक तरफ सरकार कह रही है मरीजों के लिए यह लाभदायक योजना है। लेकिन जिस तरह से इस योजना में सरकार घोटाले बता रही है उससे तो यह लगने लगा है कि मरीजों से ज्यादा यह योजना घोटालेबाज डाक्टर और अस्पतालों के फायदे की योजना बन गयी है। इस बात को और कोई नहीं स्वयं सरकार ही सिद्ध कर रही है। अब तक दर्जनों की संख्या में अस्पतालों और डाक्टर को इस मामले में में गोलमाल करने के लिए आरोपित कर दिया गया है।
उधर एक कड़वी सच्चाई है कि कई अस्पतालों को इस योजना के तहत भुगतान ही नहीं दिया गया जिससे ऐसे निजी अस्पतालों के समक्ष आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो गयी है। ऐसा कुछ अस्पतालों के प्रबंधन का कहना है।सरकार से पैसा मांगने पर उन्हें नोटिस थमा दिए जा रहे हैं। यदि यही स्थिति रही तो इस योजना में चयनित अस्पताल हाथ खड़े कर देंगे। यह भी सच्चाई है कि इस योजना की सफलता निजी अस्पतालों के दम पर निर्भर है। सरकारी अस्पतालों की हालत किसी से छिपी नहीं है। सरकारी अस्पताल सिर्फ रेफर सेंटर बन कर रह गये हैं।
जनता के लिए एक अच्छी योजना के रूप में आयी अटल आयुष्मान योजना सही क्रियान्वयन व पैसे के अभाव में कहीं कागजों तक ही सीमित न हो जाये। दरअसल यह जरूरी है कि इस योजना में कहाँ पर कमी है जिसका लाभ घोटालेबाज उठा रहे हैं। यदि यही स्थिति रही तो निजी चिकित्सालय इस योजना से बचने की कोशिश करने लगेंगे। जिनके दम पर इस योजना को सरकार सफल क्रियान्वित करना चाहती है उन्हीं को दोषी साबित कर खुद अपनी एक अच्छी योजना को खुद ही पलीता तो नहीं लगा रही है।