सोशल मीडिया अपनी निजी भावनाओं को ही व्यक्त करने का माध्यम नहीं है। हैं कुछ लोग जो इस माध्यम से समाज को संदेश देने का काम कर रहे हैं। ऋषिकेश के भूपेंद्र शुक्लेश भी यही काम कर रहे हैं। पानी को लेकर जो उनकी पीड़ा है उसे उन्होंने एक पत्र के माध्यम से सुंदर शब्दों में व्यक्त किया है। – संपादक
#एक_पत्र_आपके_नाम
“मैदानी लोगों को संबोधित करते हुए एक पत्र लिख रहा हूँ ..*
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“क्या आपको पता नहीं है कि पहाड़ निचुड़ रहे हैं ?”
साथ ही क्या आपको यह भी पता नहीं है कि “पानी और पीने वाले पानी ” में अंतर होता है ?
क्या आपको पता है कि पहाड़ों में पीने वाले पानी के क्या – क्या स्त्रोत हैं ?
आपको बिल्कुल भी अनुमान नहीं होगा कि वहाँ के लोग किस प्रकार दैनिक जलापूर्ति करते हैं ।
पहाड़ों पर नलकूप ( हैण्डपम्प ) नहीं लगते हैं और न ही वहाँ बोरिंग करके समर्सिबल मशीन लगती है जिससे अधिकाधिक पानी निकल सके ।
(भूमिगत जल स्तर के कम होने में ट्यूबवेल की भूमिका प्रमुख हैं)
लेकिन कुआं , बावली की विशेषता यह थी कि वर्षाकाल में वर्षा का अधिकाधिक जल यथास्थान भूमिगत होकर वर्ष भर के लिए जलापूर्ति सुनिश्चित कर देता था ।
अभी कुछ वर्षों तक मैदानों में कुआँ और बावली से पानी भरना होता था , जहाँ परिश्रम के बदले पानी मिलता था , इसलिए उतना ही निकाला जाता था जितने की आवश्यकता होती थी ।
लेकिन अब एक बटन दबाने में पानी मिल जाता है , इसलिए बर्बाद करने में आपका हृदय नहीं कचोटता है ।
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अच्छा है खूब पानी बहाइये , सड़क पर खड़ी करके कार , बाइक धोइये …पानी की मोटर चलाकर भूल जाइए और टँकी भरने के बाद भी पानी बहने दीजिए ….
करिये जो मन आये करिये क्योंकि अभी आपके घर में पानी तो आता ही है न , दुनिया में क्या हो रहा है उससे भला आपको क्या ।.
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लेकिन यहाँ का मैं बताता हूँ…सुनिये !
*यहाँ पहाड़ों में गाँव से कहीं दूर कोई जल स्त्रोत रिसता है , वहाँ छोटा कुंड बना दिया जाता है जिससे पानी मिलता है ।
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*इन्हीं पहाड़ों में कहीं कोई गहरी खाई होती है जो बहुत खरतनाक होती है वहीं कोई छोटा झरना बहता है और लोग जीवन का खतरा मोल लेकर जीवन बचाने के लिए पानी लेने जाते हैं ।
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*यहीं कहीं किसी बाँझ के पेड़ की जड़ों से थोड़ा – थोड़ा पानी निकलता है , लोग उसे संचित करते हैं और उससे कार्य चलाते हैं ।
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*यहीं कहीं किसी तलहटी में कोई नलकूप लगा होता है उससे थोड़ा थोड़ा जल पाते हैं तो लाते हैं लेकिन गर्मियों में वह भी सूख जाता है ।
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और यह भी जानिए कि इनमें दूरी कितनी होती है…?
इन जल स्त्रोतों की दूरी आधा कि.मी. से लेकर 3 की.मी. तक होती है या अधिक भी और वहाँ से पानी ढोकर लाना पड़ता है ।
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आप घण्टों शरीर को रगड़ – रगड़ कर नहा सकते हैं लेकिन यहाँ यह सम्भव नहीं है क्योंकि इसके लिए इतना पानी नहीं है ।
पाँच लीटर पानी का गैलन कभी आधा किमी लेकर जाईये पता लग जायेगा ।
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..और भी सुनिये ..
*जब आप बोरिंग मशीन की केवल एक बटन दबाकर घण्टों बदन धोते हैं , सड़क धोते हैं और मकान धोते हैं , इससे आपके यहाँ का जल स्तर नीचे जाता है और यहाँ से पानी निचुड़ कर आपके यहाँ के खाली स्थान को भरता है ।
यहाँ के जल से आपके यहाँ जल स्तर व्यवस्थित होता है ।
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* जब आप वॉश बेसिन में नल को खोलकर “बर्तन” धोते हैं और पानी बहता रहता है तब आप यहाँ के हिस्से का पानी अपनी लापरवाही में खर्च कर रहे होते हैं और लोग यहाँ प्यास से मरते हैं ।
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*जब आप कपड़े धोते हैं और बढिया साफ करने के लिए अनावश्यक कई – कई बार पानी बदल – बदलकर उनमें डुबोते हैं और फिर पानी फेंकते हैं तब आप यहाँ पहाड़ों पर लोगों के जिंदगी से उनकी खुशियों को छीन रहे होते हैं ।
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* जब आप गलती से नल खुला छोड़कर सो जाते हैं , जब नल की टोंटी के रिसाव (लीकेज ) , पानी के पाइप के रिसाव को ठीक ही नहीं कराते हैं और वहाँ से हजारों लीटर पानी बेकार बह जाता है तब यहाँ पानी के लिए लोगों की दूरी बढ़ जाती है ।
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* आपके घर का कोई बच्चा , लाडला पानी के पाइप से ही नहाता है उसे नहलाने में कितना पानी बह जाता है आपको पता ही नहीं चलता लेकिन इससे यहाँ किसी के लाडले को उसकी माँ के साथ दूर पानी लेने जाना पड़ता है ।
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क्या आप जानते हैं यहाँ का जीवन वैसे ही कितना कठिन है …
कभी बाढ़ , कभी भूकंप , कभी बादल फटना और कभी जंगली जानवरों का गाँव पर हमला ।
लेकिन सब झेलते हैं यहाँ के लोग ।
आप यहाँ अन्य कोई मदद नहीं करते हैं मत करिए लेकिन केवल एक इतनी मदद अवश्य करिये कि अपने यहाँ पानी बर्बाद करने से पहले यहाँ का ध्यान कर लीजिए ।
यह जान लीजिए कि आपकी विलासिता के भेंट कितने लोग चढ़ रहे हैं ।
तब सम्भव है कि आप सचेत होकर पानी का सदुपयोग करेंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे ।
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देखिये ! आप से मैं #भूपेंद्र_शुक्लेश यहाँ सभी की ओर से आग्रह करता हूँ कि आप जहाँ हैं वहाँ – वहाँ थोड़ी – थोड़ी ही जागरूकता लाइये , पानी बचाइये ताकि आपके लिए भी पानी बचा रहे और यहां भी लोगों की जिंदगी चलती रहे ।
….शेष आप समझदार हैं और आप जानते हैं कि आप क्या योगदान दे सकते हैं ।