हिमपात और तूफ़ान से भी नहीं डिगा हौसला
हौसले हों तो बढ़ती उम्र मायने नहीं रखती। इस कहावत को सही साबित किया है 61 वर्षीय महेश तिवाड़ी ने। बढ़ती उम्र को नजरअंदाज करते हुए अपनी बुलंद इच्छा शक्ति और साहस के बलबूते पर महेश तिवारी आज के युवाओं के लिए एक मिसाल बन गये हैं। साहस और देशभक्ति से सराबोर इस 61 वर्षीय युवा ने 13800 फीट की बर्फीली चोटी पर राष्ट्रध्वज फहरा कर इतिहास रच दिया है। उन्होंने यूथ हॉस्टल्स एसोसिएसन ऑफ इण्डिया द्वारा आयोजित “सार पास” ट्रेक में भाग लेते हुए 12 मई को यह कारनामा किया।
“सार पास” सुदूर हिमालय के दुर्लभ ट्रैक में से एक है जिसमें पार्वती घाटी के दुर्गम पर्वतीय मार्ग पर अपने अत्यावश्यक सामान सहित पैदल यात्रा करनी होती है।
महेश तिवाड़ी इस ट्रैक के लिए 5 मई को आधार शिविर कसोल, हिमाचल प्रदेश में 92 सदस्यीय दल के साथ पहुंचे। ।इस बीच 2 दिन तक प्रातःकालीन व्यायाम तथा आवश्यक प्रशिक्षण के पश्चात 8 मई को अगले शिविर ग्रहन (7,700 फ़ीट), वहां से 9 मई को पदरी (9,300 फ़ीट) तथा 10 मई को मिन्थाच शिविर (11,200 फ़ीट) पहुंचे।पर इस कठिन और दुर्गम पथ पर प्रकृति के प्रकोप के बावजूद 10 मई को भारी हिमपात और तूफान के बीच महेश तिवारी और उनके साथियों के हौसले को नहीं डिगा पाया हालांकि शिविर में इस तूफान से काफी क्षति भी हुई । 10 मई की रात को 12,500 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित अग्रिम शिविर नागारु, जो “सार पास” का पूर्ववर्ती शिविर है, में भारी हिमपात के साथ तूफान आ गया जिसके फलस्वरूप शिविर को क्षति हुई तथा ताजा हिमपात से मार्ग और अधिक दुर्गम हो गया। इस तूफान के कारण 4 मई को आने वाले दल को अभियान पूर्ण किए बिना 11 मई को वापस लौटा दिया गया तथा उसी दिन महेश तिवारी के दल को भी नागारु जाने की अपेक्षा वापस आधार शिविर जाने को कहा गया लेकिन दल के 10 अति उत्साही सदस्यों ने, जिसमें महेश तिवारी भी सम्मिलित थे, मौसम संबंधी सम्पूर्ण जानकारी होते हुए भी अपनी जिम्मेदारी पर अभियान को पूर्ण करने तथा निर्धारित कार्यक्रमानुसार अगले शिविर में जाने की इच्छा प्रकट की। अंततः शिविर पति (कैंप लीडर) ने इच्छुक सदस्यों से इस आशय की लिखित “अंडरटेकिंग” लेकर नागारु जाने की स्वीकृति दे दी तथा विषम परिस्थिति में प्रत्येक प्रकार का सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।महेश तिवारी बताते हैं कि दल इस अभियान को पूरा करने के लिए अतिउत्साहित था । दल के उत्साह का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि 4 घंटे की यात्रा 2 घंटे में पूर्ण कर मध्यान्ह 12 बजे नागारु पहुंच गया । कभी ओला वृष्टि, कभी तेज हवाओं के बाद अगले दिन 12मई को प्रातःकाल तक प्रकृति ने मार्ग प्रशस्त कर दिया और दल ने प्रातः 04:55 बजे प्रस्थान कर ताजा हिमपात में मार्ग बनाते हुए प्रातः 09:55 बजे 13,800 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित “सार पास” पहुंच कर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
उसी दिन 11,000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित बिस्केरी, 13 मई को 8,000 फ़ीट भंदक थाच तथा 14मई को 7,700 फ़ीट कसोल आधार शिविर पहुंचे। सायंकाल कैंप फायर के अंतर्गत यूथ हॉस्टल के फील्ड डाइरेक्टर अमर्शी धराजिया ने विषम परिस्थितियों में शेष 82 सदस्यों के पीछे हट जाने के उपरांत भी अभियान को सफलता पूर्वक पूर्ण करने के लिए 10 सदस्यीय दल की भूरि भूरि प्रशंसा की तथा प्रमाणपत्र वितरित किये। उपस्थित दलों के समक्ष महेश तिवाड़ी ने अपने अनुभव साझा किए तथा ऐसे अद्भुत अनुभव प्रदान करने के लिए यूथ हॉस्टल्स असोसिएसन ऑफ इण्डिया का धन्यवाद ज्ञापित किया।
यूथ हॉस्टल्स असोसिएसन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित अभियानों में देश के विभिन्न प्रदेशों से सम्मिलित होने वाले लोगों में राष्ट्रीय भावना का विकास होता है, प्रकृति के निकट रह कर अपनी शारीरिक क्षमता परखने तथा विकसित करने का अवसर मिलता है, चारित्रिक गुणों के विकास में सहायता मिलती है तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता उत्पन्न होती है। यह सब अविश्वसनीय काम व्यय में संभव होता है।
महेश तिवाड़ी का कहना है कि राजस्थान जैसे वृहद प्रदेश में यूथ हॉस्टल्स असोसिएसन ऑफ इण्डिया की बहुत कम इकाइयाँ सक्रिय हैं तथा सदस्य संख्या व अभियानों में सहभागिता का प्रतिशत भी कम है। इसकी उपयोगिता व महत्व को देखते हुए प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक इकाई की स्थापना हो तथा सदस्य संख्या एवं अभियानों में सहभागिता बढ़े।