लखनऊ। रामनगरी अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट को विश्व हिंदू परिषद तथा आरएसएस के बड़े अभियान में लागत से अधिक धनराशि मिली है। श्रीराम मंदिर की अनुमानित लागत 1500 करोड़ रुपया आंकी जा रही है जबकि श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण के 44 दिन के अभियान में 2100 करोड़ से अधिक की धनराशि एकत्र हो चुकी है। अभी चेक से मिली दान की राशि की गिनती होनी है। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अब अगले अभियान के तहत विदेश से भी दान की राशि लेने की तैयारी में है।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान से जुड़े ट्रस्ट ने बताया कि इस दौरान 2100 करोड़ रुपये से अधिक का संग्रह किया गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने 15 जनवरी को मंदिर परिसर के निर्माण पर 1,500 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान लगाया था। इस अभियान में भी लागत से करीब 600 करोड़ रुपया अधिक प्राप्त हो गया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद राम गिरी ने बताया कि धन एकत्र करने का अभियान सम्पूर्ण भारत में 15 जनवरी से 27 फरवरी तक चलाया गया था। इसके तहत शनिवार को शाम तक प्राप्त कुल दान 2,100 करोड़ रुपये को पार कर गया है।
कोषाध्यक्ष गोविन्द देव गिरी कहते हैं अभी के लिहाज से मंदिर की अनुमानित लागत 1500 करोड़ रुपए तक हो सकती है। ऐसे में जरूरत से ज्यादा दान ट्रस्ट को मिल गया है। मंदिर की नींव की योजना में बदलाव होने के कारण लागत में फर्क आएगा। लागत बढऩे पर चंदा अभियान फिर चलाया जा सकता है। स्वामी गोविंद देव गिरि ने कहा कि विदेशों में रहने वाले लोग भी मांग कर रहे हैं दूसरे देशों में भी इसी तरह का अभियान चलाया जाए। ऐसे में उन लोगों से किस तरह चंदा लिया जाए, इसका फैसला मंदिर ट्रस्ट पदाधिकारियों की बैठक में होगा। उधर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि अभी कोई सीमा नहीं है कि इसकी लागत कितनी होगी। मंदिर बनने के बाद इसका विस्तार भी होना है। अभी बहुत से दानदाता की धनराशि चेक से मिली है। सही लेखा-जोखा तैयार किया जा रहा है जिसमें थोड़ा समय लगेगा।
बीते वर्ष दिसंबर में राम जन्मभूमि पर पूरे परिसर के निर्माण के लिए 1,100 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान लगाया गया था जो कि जनवरी में बढ़कर 1500 करोड़ हो गई थी। ट्रस्ट से जुड़े सभी सदस्यों का प्रयास है कि दान में मिली सारी राशि का प्रयोग निर्माण में ही हो। इसके साथ ही धन का उपयोग अयोध्या के विकास के लिए हो। देश के करोड़ों राम भक्तों से मिली दान की राशि का जरा सा भी दुरुपयोग न हो।