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उत्तराखंड को कम न आंके

                        आखिर हम कहां खड़े हैं! 

                                              वेद भदोला

भारतीय गणतंत्र में उत्तराखंड को हल्के में नहीं लिया जा सकता। अगर, भारत के उत्तर-पूर्व के पर्वतीय राज्यों और उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश की बात करें तो भी उत्तराखंड इन राज्यों से ज्यादातर मामलों में बीस ही बैठता है। राष्ट्रीय राजनीति में नेतृत्व के मामले में गोविंद वल्लभ पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी से लेकर मुरली मनोहर जोशी चमकते रहे।
उत्तराखंड ने दो-दो सेना प्रमुख भी दिए। नौकरशाही के मामले में भी उत्तराखंड अव्वल रहा है। और तो और उत्तराखंड पहला राज्य है जहां फौज की दो-दो रेजिमेंट गढ़वाल राइफल और कुमाऊं रेजिमेंट है। साक्षरता के मामले में भी उत्तराखंड भारत में दूसरे पायदान पर है।
पत्रकारिता, फ़िल्म उद्योग, बैंकिंग सेक्टर, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में भी उत्तराखंड के लोगों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। सामाजिक जीवन में उल्लेखनीय योगदान के लिए सुंदर लाल बहुगुणा, चंडी प्रसाद भट्ट और गौरा देवी जैसी विभूतियां भी हमारी धरोहर हैं।
लेकिन, सवाल यही कि आखिर हम कहां खड़े हैं!
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