मुंंबई। भीमा कोरेगांव मामले में दो साल से जेल में बंद कवि और सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव को फिलहाल जमानत पर रिहा नहीं किया जाएगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने वरवरा को स्वास्थ्य कारणों से तुरंत रिहा करने के उनके परिवार के आग्रह पर यह बात कही। कोर्ट ने कहा, ‘डॉक्टर वीडियो कॉल के जरिये उनका परीक्षण कर सकते है और जरूरत पड़ी तो उनके स्वास्थ्य की जांच भी कर सकते हैं।’ वरवरा के परिवार की वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट के समक्ष तर्क दिया था, ‘वे (वरवरा) बिस्तर पर है। वह डाइपर पर हैं, यूरिन को नियंत्रित नहीं कर पाते। उन्हें यूरिन बैग के साथ रहना होता है। उनकी नली हटाई नहीं गई है, क्या यह शख्स न्याय से भाग सकता है!
इंदिरा ने कहा कि वरवरा का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है। इस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, यदि संभव हो तो एक वीडियो कॉल की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस केस पर 17 नवंबर को फिर सुनवाई की जाएगी। कोर्ट ने कहा, ‘वरवरा की मौजूदा स्थिति के आकलन के लिए वीडियो मेडिकल एक्जॉमिनेशन किया जाना ठीक होगा। सभी पक्ष सहमत है कि आज या कल नानावटी अस्पताल के डॉक्टरों की ओर से वीडियो कंसलटेशन की व्यवस्था की जा सकती है।’
गौरतलब है कि 80 साल के वरवरा को 2018 में आतंकवाद विरोधी कानून और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था, इसके तहत ट्रायल के बिना वर्षों तक जेल में रखा जा सकता है। परिवार ने अपनी याचिका में कहा है कि वरवरा का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है, इसके अलावा जेल में वे कोरोना की चपेट में भी आ गए। इंदिरा के अनुसार, वरवरा को मुंबई नजदीक तलोजा जेल में रखा गया है और मामले में सह आरोपी स्टेन स्वामी ने वकीलों को बुलाकर वारवरा का स्वास्थ्य बेहद खराब होने के बारे में जानकारी दी। कथित माओवादियों से संबधों की वजह से वरवरा राव को गिरफ्तार किया गया था।