@विनोद भगत /नवल सारस्वत
काशीपुर । मैं अपनी बेटी के सपनों को मरते हुए नहीं देख सकता। यही कहा था सूबे के खेल और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने लगभग एक साल पहले काशीपुर की राष्ट्रीय स्तर की एथलीट अनीता के घर जाकर।पर अनीता के सपने आज भी घुट घुट कर मर रहे हैं। उसकी आंखों में आंसू है। वह बोल नहीं पाती रूंधे गले से कहती है कि मैं टूट चुकी हूँ। सरकार के झूठे आश्वासन और दिलासों से।

शब्द दूत की टीम जब अनीता के मानपुर रोड स्थित घर पर पहुंची तो अपनी व्यथा बताते हुए फूट फूट कर रो पड़ी।अनीता से बात करते हुए माहौल बड़ा संजीदा हो गया। एक साल पूर्व कुछ समाचार पत्रों में अनीता के बारे छपा और चैनलों ने भी अपना फर्ज निभाते हुए उसकी व्यथा को प्रसारित किया। इस सब को देखकर सूबे के खेल व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे तुरंत अनीता के घर पहुंचे और इस प्रतिभाशाली एथलीट को आश्वासन भी दे आये। यहाँ तक कि शिक्षा मंत्री पांडे ने कहा कि वह एक मंत्री के रूप में नहीं एक पिता के रूप में आये हैं। और एक पिता अपनी बेटी के सपनों को मरते हुए नहीं देख सकता।

हालांकि उसके बाद शिक्षा मंत्री कई बार काशीपुर से गुजरे पर अपनी इस बेटी की ओर उन्होंने मुड़ कर नहीं देखा। यही कहना है अनीता का।
शिक्षा मंत्री के घर आने के बाद दिये गये आश्वासन की एवज में अनीता को जिला क्रीड़ा अधिकारी ने बुलाया और कहा कि इतनी अच्छी एथलीट हो किसी भी स्कूल में लग जाओ। या फिर एन आई एस कर लो। पर अनीता कहती हैं कि एन आई एस के लिए डेढ़ लाख रुपये जुटा पाना उसकी आर्थिक स्थिति के चलते संभव नहीं है।यह सब बताते हुए अनीता रो पडी।
अनीता की कहानी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे की धज्जियाँ उड़ा रही हैं। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने एक साल पहले अनीता के घर जाकर आश्वासनों के नाम पर सरकार की बेटियों और खिलाड़ियों के नाम पर वाहवाही तो लूट ली पर इस वाहवाही में अनीता के सपने कहीं मरते तो नजर नहीं आ रहे? ये एक बड़ा सवाल है। इन सवालों को पूछना हो सकता है कि सरकार को नागवार गुजरे पर पूछा जरूर जायेगा। 

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