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दिल्ली चुनाव का आश्चर्यजनक पहलू: जितने सदस्य उतने वोट भी नहीं मिले भाजपा कांग्रेस को

@विनोद भगत

दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा को उसके सदस्यों ने ही वोट नहीं दिया। इसके दो मतलब हो सकते हैं या तो पार्टी द्वारा सदस्य संख्या का दावा झूठा है या फिर भाजपाई ही भाजपा को वोट नहीं देना चाहते हैं।

जितने सदस्य भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में अपने बताती है यदि वह ही वोट दे देते तो आज दिल्ली में प्रचंड बहुमत से भाजपा की सरकार होती। आखिर क्यों? भाजपा ने ही भाजपा को वोट क्यों नहीं दिया? और हार के बाद दिल्ली वासियों को आलसी और मुफ्तखोर कहा जा रहा है भाजपा के ही नेताओं द्वारा। यह अपने आप में हास्यास्पद है।

आंकड़े कहते हैं दिल्ली में भाजपा के सदस्यों की संख्या 62,28,172 है। इसे यूं भी समझ सकते हैं कि दिल्ली के कुल 1.46 करोड़ वोटर के मुकाबले 42.4 फीसदी भाजपा के सदस्य हैं। दिल्ली की आठ सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी को कुल 38.51 फीसदी वोट मिले। अगर इन वोटों को आंकड़े में उतारें तो दिल्ली में बीजेपी को कुल 35,75,430 वोट मिले हैं।

ठीक यही स्थिति कांग्रेस की है उसके सात लाख सदस्य हैं पर वोट चार लाख के लगभग कांग्रेस को मिले। हालांकि कांग्रेस ने दिल्ली के मतदाताओं और जनता को मुफ्तखोर कहने के बजाय आत्म मंथन की बात कही है। कुल मिलाकर यह आंकड़े भाजपा और कांग्रेस दोनों के सदस्य संख्या के दावों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

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