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ब्रेकिंग : भारत सरकार और उग्रवादी संगठन के बीच समझौते पर हस्ताक्षर

नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की मौजूदगी में आज भारत सरकार ने प्रतिबंधित संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी गुटों के प्रतिनिधियों के साथ गृह मंत्रालय में त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। 
इस दौरान गृहमंत्री कि यह असम के लिए और बोडो लोोगों के सुनहरे भविष्य की शुुरुआत है। अमित शाह ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण समझौता है। 

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ‘130 हथियारों के साथ 1550 कैडर 30 जनवरी को आत्मसमर्पण करेंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि सभी वादे समयबद्ध तरीके से पूरे होंगे।’

वहीं असम के मंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने कहा, ‘बोडो समाज के सभी हितधारकों ने असम की क्षेत्रीय अखंडता की पुष्टि करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।’ बता दें कि इस समझौते पर फ्रंट के प्रतिनिधियों के अलावा केंद्र और असम सरकार ने हस्ताक्षर किए हैं।

गुवाहाटी में असम के डीजीपी भास्कर ज्योति महंत ने इसबबारे में कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद एनडीएफबी के कैडर विदेशी जमीन पर अपने ट्रेनिंग कैंपों को छोड़कर वापस राज्य में लौट आए हैं। साओराईगरवा के अलावा लौटने वाले 27 एनडीएफबी सदस्यों को एक अज्ञात स्थान पर सुरक्षा घेरे में रखा गया है। आपको बता दें कि लौटने वालों में संगठन के 2 अहम सदस्य महासचिव बीआर फेरांगा और वित्त सचिव बी. ड्वमविलू भी शामिल हैं।

स्वतंत्रता के बाद से ही असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवाद की समस्या बनी रही है। 28 प्रतिशत बोडो की आबादी असम में है। बोडो  अपनेआप को  असम का मूल निवासी मानते हैं। दरअसल ये लोग अरुणाचल से सटे हिस्से को बोडोलैंड घोषित करना चाहते हैं। इनका मानना है कि बाहरी लोगों के आने से इनकी आजीविका और संस्कृति पर असर पड़ा है। बोडो उग्रवादियों के संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) का एक धड़ा हिंसा फैला रहा है। दरअसल, लड़ाई अपने प्रभुत्व और क्षेत्र की है। एनडीएफबी का एक धड़ा अलग राज्य चाहता है ताकि आदिवासियों और मुस्लिमों से बोडो समुदाय के हितों की रक्षा की जा सके। असम में उल्फा, एनडीएफबी समेत 35 से ज्यादा उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं।

दो दिन पहले ही असम के 8 प्रतिबंधित संगठनों के 644 उग्रवादियों ने मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की मौजूदगी में गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया। उग्रवादियों ने 177 हथियार भी पुलिस को जमा करा दिए।असम के डीजीपीभास्कर ज्योति महंत इस बात की पुष्टि की है। महंत ने कहा कि यहददिन असम सरकार और पुलिस के लिए खास है।

सरेंडर करने वाले सदस्य यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा), नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ इंडिया (एनडीएफबी), आरएनएलएफ, केएलओ, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी), नेशनल संथाल लिबरेशन आर्मी (एनएसएलए), आदिवासी ड्रैगन फाइटर (एडीएफ) और नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ बंगाली (एनएलएफबी) के हैं।इनमें उल्फा के 50, एनडीएफबी के 8, सीपीएमका1, एडीएफ के 178 और एनएलएफबी के 301 सदस्य शामिल हैं।

इसी महीने के शुरुआत मेंएनडीएफबी ने सरकार के साथ अपनाअभियान बंद करने का त्रिपक्षीय समझौता किया था। समझौते के मुताबिक, एनडीएफबी सरगना बी साओराईगवरा समेतसभी उग्रवादीहिंसक गतिविधियां रोकेंगे और सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल होंगे। त्रिपक्षीय समझौते में एनडीएफबी, केंद्र सरकार और असम सरकार शामिलथे। साओराईगवरा के साथ एनडीएफबी के कई सक्रिय सदस्य 11 जनवरी को म्यांमार से भारत आए थे।

 

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