नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि आरएसएस के विचारक विनय दामोदर सावरकर एक बिस्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, लेखक, कवि, इतिहासकार, राजनेता और दार्शनिक के मिले जुले रूप थे। विक्रम संपत की पुस्तक ‘सावरकर: इकोज़ फ्रॉम ए फॉरगॉटन पास्ट’ के विमोचन के मौके पर नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में आयोजित एक कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति संबोधित कर रहे थे।
नायडू ने कहा कि किताब के जरिए वीर सावरकर की जो कहानी सामने आती है, उससे भारत मां के इस दृढ़-संकल्प से भरे बेटे के देशभक्ति से भरे नजरिए का खुलासा होता है। उन्होंने 1857 के विद्रोह को देश की आजादी की पहली लड़ाई करार दिया और सशस्त्र प्रतिरोध को आजादी हासिल करने के विकल्प के तौर पर चुना। सावरकर ने लंदन और पूरे यूरोप में कई वीर युवाओं को नेतृत्व प्रदान किया ताकि भारत की आजादी के लिए समर्थन पाया जा सके।
नायडू ने आगे ने कहा कि वीर सावरकर एक सामान्य पुरुष नहीं थे। वह एक दूरदर्शी समाज सुधारक, भविष्य की ओर देखने वाले उदारवादी और कई मायनों में मूर्तिपूजा के विरोधी और एक प्रख्यात व व्यवहारिक रणनीतिकार थे जो भारत को औपनिवेशिक शासन से आजाद कराना चाहते थे, भले ही हिंसक सशस्त्र प्रतिरोध की जरूरत पड़े।
वहीं, नायडू ने इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर दी आर्ट्स (आईजीएनसीए) में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि दुनियाभर के लोगों ने यह माना है कि भारतीय परिवार व्यवस्था समाज में सौहार्द और आंतरिक शांति की दिशा में आगे बढ़ने की राह दिखाती है। उन्होंने कहा कि समय की कसौटी पर खरी अपनी मजबूत परिवार व्यवस्था के कारण भारत पूरी दुनिया के लिए आदर्श हो सकता है।


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