(10 सितंबर, 2021)
भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ मामले के बहाने ही सही, कांग्रेस छोड़कर भाजपा में मंत्री और विधायक बने नेताओं ने ऐन विधानसभा चुनाव से पहले एकजुट रहने का सूत्र तलाश लिया है। काऊ के समर्थन में खड़े होने वाले नेताओं में अब एक नाम कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का भी जुड़ गया है। हालांकि पशोपेश की स्थिति बनी हुई है क्योंकि अभी कांग्रेस की ओर से वापसी को लेकर कोई स्पष्ट संदेश नहीं दिया गया है। यद्यपि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत के बयान आते रहे कि बागियों की अगर वापसी होती है तो उनका स्वागत होगा।
सियासी जानकारों का मानना है कि जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं पर पार्टी कार्यकर्ताओं की घेराबंदी बढ़ रही है। इससे निपटने के लिए अब ये मंत्री और विधायक कड़ियों की तरह जुड़ रहे हैं ताकि पार्टी में अपने प्रभाव को बनाए रख सकें। यही वजह है कि अब सतपाल महाराज भी विधायक काऊ के समर्थन में खुलकर आ गए हैं। काऊ प्रकरण पर महाराज ने कहा कि मैं काऊ के साथ हूं और उनकी बात पार्टी फोरम पर रखूंगा।
महाराज ने कहा कि हम सब में समन्वय की भावना है। बातचीत से हर समस्या का हल निकल सकता है। गौरतलब है कि पिछले दिनों ही कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने भी काऊ के समर्थन में खुलकर बयान दागे थे। हालांकि, हरक सिंह भी पार्टी में असहज महसूस कर रहे हैं और खुद की घेरेबंदी से परेशान हैं।
इधर, भाजपा में अब गुटबाजी साफ-साफ दिखने लगी है। रायपुर में भाजपा विधायक काऊ के साथ पार्टी के नेता की तकरार के बाद दोनों ओर से केंद्रीय नेतृत्व को एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें की गईं। दिल्ली से लौटकर काऊ ने यह कहकर हलचल पैदा कर दी कि उनकी समस्या का निदान नहीं हुआ तो वह पार्टी से बाहर बने संगठन में ये बात रखेंगे।
काऊ का इशारा दरअसल, उनके साथ भाजपा में आए सभी विधायकों व पूर्व विधायकों की ओर है जो अब पार्टी नेतृत्व को भी यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि अच्छे व बुरे वक्त में वे एक-दूसरे के साथ मजबूती से खड़े हैं। उनकी यह एकजुटता पार्टी नेताओं को असहज कर रही है।
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा, इन विधायकों की घेराबंदी और बढ़ने की आशंका है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी के भीतर सम्मान की लड़ाई लड़ रहे इन नेताओं की बात को भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व कितनी तवज्जो देता है।