@शब्द दूत ब्यूरो (04 फरवरी 2023)
मुंबई। कहा जाता है कि नाम में क्या रखा है? ठीक है। लेकिन कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिससे हमारे कर्म या धर्म का भी बोध होता है। अब मंगल शब्द को सुनते ही मन के अंदर मंगलध्वनि गूंजने लगती है ।
लेकिन मुझे तब आश्चर्य हुआ, जब कल मैं मुंबई के सांताक्रुज में लोकल ट्रेन से उतरकर पश्चिम दिशा की ओर बाहर जा रहा था, तो अचानक मेरी नज़र एक बोर्ड की ओर पड़ी, जिसमें लिखा था ‘मंगल शौचालय’ । आश्चर्य इससे भी बड़ा इस बात का हुआ कि यह शौचालय मुंबई महानगर पालिका का है। अब यह तो मुंबई महानगर पालिका के आयुक्त महोदय एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि ही बता पाएंगे कि उन्हें शौचालय के अंदर कौन सा मंगल कार्य से लेकर मंगल ग्रह नजर आया जो कि उन्होंने एक पावन पवित्र शब्द का इस तरह से अपमान किया है।
डॉ राजेश्वर उनियाल