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दृश्यम से ,दृश्यम-2 तक@फिल्म की सफलता पर वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल का विश्लेषण

राकेश अचल, लेखक देश के जाने-माने पत्रकार और चिंतक हैं, कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में इनके आलेख प्रकाशित होते हैं।

भारत एक ऐसा मुल्क है जहां हर चीज के लिए गुंजाइश है।अच्छे के लिए भी और बुरे के लिए भी। सियासत हो,कला हो, संस्कृति हो, कोई भी क्षेत्र हो हाल ही में मुल्क के सिनेमाघरों में रिलीज हुई अजय देवगन, तब्बू, श्रिया सरन और अक्षय खन्ना स्टारर ‘दृश्यम 2’ की कामयाबी ने ये बात प्रमाणित कर दी है । फिल्म ने अप्रत्याशित रूप से छप्पर फाड़ कमाई की है।
मै बहुत कम फिल्में देखता हूं, देखता भी हूं तो ये महज एक इत्तफाक होता है। ये इत्तफाक ही था कि मैंने अजय देवगन की फिल्म ‘ दृश्यम-1 देखी थी। बिना मसाले की इस फिल्म में दर्शक को बांधने की जो ताकत थी वो ‘ दि कश्मीर फाइल ‘ जैसी इरादतन बनाई गई उस फिल्म में भी नहीं थी जिसका प्रमोशन खुद सरकार और सरकारी पार्टी ने किया था।
ये इत्तफाक ही है कि ‘दृश्यम 2 ने बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन 15.38 करोड़ की कमाई की । इसके साथ ही अजय देवगन की ये फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ के बाद बॉलीवुड की दूसरी सबसे बड़ी ओपनर बन गई है। दूसरे दिन भी इसने जबरदस्त कलेक्शन करते हुए 21.59 करोड़ की कमाई की थी। दो दिनों में ही ‘दृश्यम 2’ ने 36 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन कर लिया था। तीसरे दिन तो फिल्म ने और भी जबदस्त परिणाम दिए।

आपको याद होगा कि अजय देवगन की ‘दृश्यम’ और ‘दृश्यम 2’ मलयालम भाषा में इसी नामों से बनी फिल्मों का हिन्दी रीमेक हैं। मलयालम की ‘दृश्यम’ और ‘दृश्यम 2’ भी बॉक्स ऑफिस पर बहुत बड़ी हिट साबित हुईं थीं। इसके साथ ही ये फिल्म इस साल आई किसी भी रीमेक से कहीं ज्यादा हिट साबित हुई है। अजय देवगन की इस साल रिलीज हुई ये तीसरी फिल्म है।

भारत में फिल्म उद्योग भी अब संकट में है। वहां भी मीडिया की भांति ‘गोदी वालीवुड ‘बन गया है। कुछ फिल्म निर्माता और निर्देशक सरकारी संरक्षण में सरकार के फायदे के लिए फिल्में बनाते हैं। इसके नफा-नुक्सान दोनों हैं। नुक्सान कम हैं। अपने जमाने के सुपर स्टार राजेश खन्ना के दामाद आजकल इस सुविधा का भरपूर फायदा उठा रहे हैं।
सरकारी संरक्षण में फिल्म बनाने वालों को मनोरंजन कर में छूट के अलावा भी बहुत कुछ मिलता है, लेकिन ये सब हासिल करने के लिए फिल्म निर्माताओं को पटकथा थानेदारों से जंचवाना पड़ती है। अन्यथा सरकार के कोप का भाजन बनना पड़ता है।

प्रकाश झा जैसे जुगाड़ू और अकड़ू फिल्म निर्माताओं को इसका खासा अनुभव है।इस लिहाज से अजय देवगन खुशनसीब अभिनेता हैं। क्योंकि उन्हें इसके लिए अक्षय कुमार की तरह अपने ईमान का क्षय नहीं करना पड़ता।
मै फिल्मों का स्थापित जानकार नहीं हूं,समीक्षक और आलोचक भी नहीं, लेकिन मै अपनी समझ से आपको ये मशविरा जरूर देना चाहूंगा कि आप यदि गंदगी से भरी सियासत और कतरा -कतरा हो रही श्रद्धा से विचलित हों तो ‘दृश्यम-2 जरूर देखें। पैसे वसूल भी होंगे और मजा भी आएगा। क्योंकि ये फिल्म न विवेक अग्निहोत्री की ‘दि कश्मीर फाइल ‘ है और न आमिर खान की ‘ लाल सिंह चड्ढा ‘।
@राकेश अचल

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