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काशीपुर के रामनगर रोड फ्लाईओवर पर सनसनीखेज खुलासा: सात साल से रुके निर्माण की असली वजह सरकारी लेटलतीफी!देखिए वीडियो

@शब्द दूत ब्यूरो (06 दिसंबर 2025)

काशीपुर। रामनगर रोड पर बन रहा फ्लाईओवर एक बार फिर सुर्खियों में है। शहर की जनता पिछले सात साल से इस फ्लाईओवर के अधूरे काम के कारण भारी परेशानी झेल रही है, लेकिन अब फ्लाईओवर निर्माण को लेकर ऐसा सनसनीखेज खुलासा सामने आया है जिसने सबको चौंका दिया है।

राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के अधिकारी जहां यह दावा कर रहे हैं कि निर्माण कंपनी काम छोड़कर चली गई है और अब रिटेंडर प्रक्रिया शुरू की जा रही है, वहीं निर्माण कंपनी वुड हिल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का दावा है कि कंपनी अभी भी प्रोजेक्ट पर बनी हुई है, काम कर रही है और देरी की असली वजह “सरकारी विभागों की लेटलतीफी” है।

राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिशासी अभियंता ने शब्ददूत न्यूज़ से बातचीत में बताया कि ठेकेदार काम नहीं कर रहा था, इसलिए विभाग ने काम क्लोज कर दिया और अब रिटेंडर की प्रक्रिया चलाई जा रही है। अधिकारी के अनुसार—फ्लाईओवर के निर्माण वर्ष की शुरूआत में ही प्रारंभिक ठेकेदार शुरुआत में ही काम छोड़ गया था।

वहीं मौजूदा ठेकेदार द्वारा काम न करने के चलते विभाग ने रिटेंडर की तैयारी की है।नया टेंडर तैयार होकर आरओ ऑफिस भेजा जा चुका है।फिलहाल फ्लाईओवर के पूर्ण होने की कोई निश्चित समयसीमा नहीं है।

लेकिन इसके उलट निर्माण कंपनी का दावा बिल्कुल अलग!
निर्माण कंपनी वुड हिल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजेश कुमार का कहना है—

“हमने काम छोड़ा ही नहीं है, हम अभी भी ऑन-पेपर ठेकेदार हैं। जब तक विभाग हमारा पुराना बकाया और फोरक्लोज़र प्रक्रिया पूरी नहीं करता, हम हटे नहीं हैं।”रेलवे द्वारा डिज़ाइन बदलने से 500 टन अतिरिक्त वज़न बढ़ गया, जिस कारण लागत भी बढ़ी।

उनका कहना है कि विभाग ने कंपोजिट गार्डर के बजाय बो-स्टिंग गार्डर लगाने का निर्देश दिया, जिससे खर्च और देरी दोनों बढ़ीं। विभाग ने अतिरिक्त धनराशि (लगभग 40–45 करोड़) बढ़ाने में असमर्थता जताई और रिटेंडर का निर्णय लिया।

2016 में बनी डीपीआर के आधार पर काम शुरू हुआ, जबकि रेलवे की GAD मंजूरी मार्च 2025 में मिली, जिससे लागत में भारी वृद्धि हुई। यूटिलिटी शिफ्टिंग (ट्रांसमिशन लाइन टावर) का पैसा भी विभाग ने स्वीकृत नहीं किया, जबकि वह निर्माण में बाधा बना रहा।

कंपनी के अनुसार कुल 90% काम पूरा हो चुका है।रेलवे वाला भाग बाकी है, जिसे ठीक करने में नए कॉन्ट्रैक्टर को भी कम से कम एक साल लगेगा।रिटेंडर प्रक्रिया पूरी होने में अभी लगभग दो महीने और लग सकते हैं।

एक ओर विभाग का कहना है कि ठेकेदार काम छोड़कर गया, दूसरी ओर कंपनी कह रही है कि विभाग की देरी, बदली गई ड्रॉइंग, और अटके हुए भुगतान के कारण काम रुक रहा है।
इन विरोधाभासी दावों के कारण शहरवासियों में यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर सच क्या है और फ्लाईओवर कब पूरा होगा?

फिलहाल स्थिति यह है कि रिटेंडर लगभग तय माना जा रहा है, और यदि नया ठेकेदार मिल भी जाए तो फ्लाईओवर निर्माण में कम से कम एक वर्ष और लगना लगभग तय माना जा रहा है।

जनता के इंतजार की घड़ी अभी और लंबी हो सकती है, क्योंकि निर्माण कंपनी और सरकारी विभागों के बीच खींचतान का सीधा असर काशीपुर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

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