Breaking News

काशीपुर में 2027 के विस चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में शुरू होने जा रहा इस्तीफों का दौर, जानिये इस बार किस दल को लगेगें झटके दर झटके?

@विनोद भगत

काशीपुर। उत्तराखंड की राजनीति में आने वाले दिनों में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है। विशेषकर काशीपुर का राजनीतिक परिदृश्य एक बार फिर गर्माने जा रहा है। 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले यहां कई बड़े नेता दल-बदल की तैयारी में हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के अनेक वरिष्ठ नेता पार्टी को अलविदा कहने की तैयारी में हैं।

काशीपुर में यह हलचल केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा का परिणाम नहीं है, बल्कि इसके पीछे कांग्रेस में पिछले कुछ समय से टिकट वितरण और नेतृत्व से असंतोष की भी बड़ी भूमिका है। खास बात यह है कि किसी स्थानीय दिग्गज को मैदान में उतारा जाता है तो पार्टी के भीतर ही उसका विरोध शुरू हो जाता। ऐसा पिछले चुनावों के परिणाम से समझा जा सकता है। उधर बाहर के नेता को यहाँ की जनता स्वीकार नहीं कर पाती। इसी ऊहापोह में कांग्रेस के भीतर लंबे समय से उपेक्षा महसूस कर रहे कई दिग्गज नेता अब खुद को “सिर्फ पोस्टर चेहरा” समझने लगे हैं। बताया जा रहा है कि ऐसे कई नेता आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी छोड़ सकते हैं और कुछ तो अन्य राजनीतिक विकल्पों पर विचार भी कर रहे हैं।

वहीं भाजपा खेमे में भी सब कुछ सहज नहीं है। संगठन के अंदर टिकट की दौड़ शुरू हो चुकी है और कई पुराने कार्यकर्ता खुद को नजरअंदाज होता महसूस कर रहे हैं। काशीपुर में भाजपा के कुछ स्थानीय नेता भी अपनी राजनीतिक जमीन को बचाने के लिए नए समीकरण तलाश रहे हैं।

स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2027 का चुनाव काशीपुर के लिए बेहद दिलचस्प होगा, क्योंकि इस बार मुकाबला केवल दलों के बीच नहीं बल्कि नेताओं के बीच भी होगा। यदि मौजूदा हालात ऐसे ही बने रहे, तो आने वाले महीनों में दल-बदल की बड़ी घटनाएं सुर्खियों में रह सकती हैं।

राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि शहर में मतदाता भी अब मुद्दों से अधिक स्थानीय नेतृत्व पर भरोसा दिखा रहे हैं। ऐसे में नेताओं के पाला बदलने से समीकरणों में भारी बदलाव संभव है। काशीपुर की सियासत  पर नज़र रखने वाले जानकारों का मानना है कि यह दौर तय करेगा कि कौन नेता जनाधार पर खरा उतरता है और कौन केवल पार्टी के सहारे अपनी राजनीति साधता रहा है।

2027 के चुनाव से पहले काशीपुर की सियासत में बड़े फेरबदल के संकेत साफ दिखाई देने लगे हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए यह समय चुनौती भरा होगा। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में कौन-कौन से चेहरे अपनी पार्टी को अलविदा कहकर नए राजनीतिक ठिकाने तलाशते हैं। हालांकि अभी चुनाव में लंंबा समय है पर चुनाव की भूमिका अभी से तैयार करने में जुट गए हैं राजनीतिक दल। एक ओर जहाँ भाजपा जीत के प्रति आश्वस्त है तो कांग्रेस को अपने ही दल के भीतर अंतर्द्वंद से जूझना है उसके बाद वह चुनाव में जीत की संभावना तलाश सकती है। वहीं स्थानीय कांग्रेस की आपसी खींचतान का फायदा उठाकर खुद को पार्टी का उम्मीदवार समझ कर शहर में अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं। लेकिन आम जनता तक ऐसे नेताओं की पहुंच नगण्य ही रहती है।

Check Also

उत्तराखंड में भीषण हादसा :चंपावत में बारात से लौट रहा बोलेरो वाहन खाई में गिरा , मां-बेटे समेत पांच की मौत, पांच गंभीर

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (05 दिसंबर 2025) चंपावत। उत्तराखंड के चंपावत जिले …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-