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उत्तराखंड: धामी सरकार की नजर में शत्रु संपत्तियां, अरबों की जमीन पर कार्रवाई का इंतजार

@शब्द दूत ब्यूरो (13 सितंबर 2025)

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में शत्रु संपत्तियों को लेकर कार्रवाई का सिलसिला अभी अधर में लटका हुआ है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश और केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेशों के बावजूद अरबों रुपये की कीमत वाली इन जमीनों पर अब तक निर्णायक कदम नहीं उठाए गए हैं।

जानकारी के अनुसार देहरादून में फैज मोहम्मद के नाम से दर्ज शत्रु संपत्ति समेत कुल 34 संपत्तियों की फाइलें खोली गई थीं। इनमें आईएसबीटी के पास टर्नर रोड पर करीब 70 बीघा और माजरा क्षेत्र में लगभग 1800 बीघा भूमि शत्रु संपत्ति के रूप में चिन्हित की गई है। इन दोनों ही संपत्तियों की कीमत अरबों में आंकी गई है। लेकिन जांच और मौका मुआयना होने के बाद अचानक यह फाइलें ठंडे बस्ते में चली गईं।

सूत्रों के अनुसार सहारनपुर और देहरादून के भू माफिया लंबे समय से फर्जी वारिसान दस्तावेजों के आधार पर इन जमीनों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। कई प्रभावशाली सफेदपोश भी इस साजिश में शामिल बताए जाते हैं। उत्तराखंड बनने के बाद लंबे समय तक जमीनी दस्तावेज सहारनपुर कमिश्नरी में ही रहे, जिसका फायदा उठाकर भू माफियाओं ने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को साफ निर्देश दिए हैं कि शत्रु संपत्तियों को जिलाधिकारियों की कस्टडी में लेकर जनहित में उपयोग किया जाए। नैनीताल स्थित मेट्रोपॉल होटल को खाली कराकर पार्किंग के लिए इस्तेमाल में लाने का उदाहरण इसी दिशा में पहला कदम माना जा रहा है। हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिले में भी शत्रु संपत्तियां चिन्हित की गई हैं।

दरअसल, 1959 और 1971 में केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी कर उन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया था, जिनके मालिक देश के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान या चीन जाकर बस गए और वहां की नागरिकता ले ली। देशभर में इस तरह की करीब 12,611 संपत्तियां चिन्हित हैं, जिनकी कीमत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक बताई जाती है। इनमें से अधिकांश संपत्तियों पर फर्जी दावेदारों ने कब्जा कर रखा है।

सीएम पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि उत्तराखंड में शत्रु संपत्तियों की पहचान कर ली गई है और सभी जिलाधिकारियों को उन्हें खाली कराने के निर्देश दिए गए हैं। नैनीताल की शत्रु संपत्ति को खाली कर उसका उपयोग जनहित में शुरू कर दिया गया है। शेष संपत्तियों को भी कब्जामुक्त करने के लिए सरकार ने संकल्प लिया है।

अब देखना होगा कि धामी सरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों पर कितनी तेजी से अमल करती है और अरबों की इन संपत्तियों को भू माफियाओं के कब्जे से मुक्त करा पाती है या नहीं।

 

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