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जानिए कैसे बनते हैं तिरुपति मंदिर की रसोई में प्रसाद के लड्डू, कितने ग्राम का होता है सबसे छोटा लड्डू

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (21सितंबर, 2024)

आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में तिरुपति मंदिर के ‘प्रसादम’ में कथित तौर पर जानवरों की चर्बी मिलाने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एक वकील ने याचिका दायर कर आरोप लगाया कि मौलिक हिंदू धार्मिक रीति-रिवाजों का उल्लंघन किया गया है। उनका कहना है कि इस मामले ने अनगिनत श्रद्धालुओं की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई है, जो इस प्रसाद को ‘आशीर्वाद’ मानते हैं।

तिरुपति के इन प्रसिद्ध लड्डुओं को श्रीवारी लड्डू भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इनका इतिहास 300 साल पुराना है। तिरुपति के मंदिर में भगवान को लड्डू चढ़ाने और भक्तों को प्रसाद के रूप में देने की शुरुआत 1715 में हुई थी। 2014 में रजिस्ट्रार ऑफ पेटेंट्स, ट्रेडमार्क्स एंड जियोग्राफिकल इंडिकेशन्स ने तिरुपति लड्डू को जीआई टैग दिया। इसका मतलब यह है कि मंदिर के अलावा कोई भी लड्डू को “तिरुपति लड्डू” नाम देकर नहीं बेच सकता।

प्रसादम को पोटू नाम की एक विशेष रसोई में बनाया जाता है। सभी रसोइए वैष्णव ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। सदियों से इनके परिवार यही काम करते आ रहे हैं। लड्डू बनाने वालों को अपना सिर मुंडवाना पड़ता है और रसोई में काम करते समय उन्हें एक ही कपड़ा पहनना होता है जो कि बिल्कुल साफ-सुधरा होना चाहिए।

मंदिर की रसोई में औसतन रोजाना साढ़े तीन लाख लड्डू तैयार किए जाते हैं और खास मौकों या त्योहारों पर चार लाख तक लड्डू बनाए जाते हैं। लगभग 600 विशेष रसोइये हैं जो लड्डू बनाने में माहिर हैं और दो शिफ्टों में लड्डू तैयार करते हैं। रसोइयों का कड़ा हेल्थ चेकअप किया जाता है। करीब दो शताब्दियों तक रसोई में लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन पिछले कुछ दशकों में एलपीजी का इस्तेमाल करना शुरू किया गया है। अब यह पूरी तरह से आधुनिक रसोई बन गई है। रसोई का एक-एक इंच सीसीटीवी कैमरों से लैस हैं। तीन कन्वेयर बेल्ट लड्डुओं को रसोई से निकालकर बांटने के लिए ले जाया जाता हैं।

उच्च गुणवत्ता वाला घी उन दस सामग्रियों में से एक है, जिनका इस्तेमाल लड्डू बनाने में किया जाता है। घी के अलावा, लड्डू बनाने में बेसन, चीनी, चीनी का बूरा, काजू, इलायची, कपूर और किशमिश का इस्तेमाल किया जाता है।

भगवान को चढ़ाए जाने वाले लड्डू और अन्य प्रसाद तैयार करने के लिए हर दिन कम से कम 400 से 500 किलो घी, 750 किलो काजू, 500 किलो किशमिश और 200 किलो इलायची का इस्तेमाल किया जाता है। तिरूमाला तिरुपति देवस्थानम हर छह महीने में घी खरीदता है और हर साल करीब पांच लाख किलो घी खरीदता है।

वेंकटेश्वर मंदिर में लड्डू तीन साइज़ में बनते हैं – छोटे, मध्यम और बड़े. सबसे छोटा लड्डू 40 ग्राम का होता है। यह लड्डू मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालु को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। इसके लिए कोई पैसा नहीं देना होता। मध्यम आकार वाला लड्डू 175 ग्राम का होता है, जिसकी कीमत 50 रुपये प्रति लड्डू है। और सबसे बड़े लड्डू की बात करें तो इस एक लड्डू का वजन 750 ग्राम होता है, जिसकी कीमत 200 रुपये होती है। ये लड्डू मंदिर परिसर के साथ-साथ बाहर भी विशेष काउंटर्स पर उपलब्ध हैं। कहा जाता है कि ये लड्डू 15 दिन तक खराब नहीं होते।

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