भारतीय राजनीति में निस्संदेह प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी सबसे बड़े शो मैन बन गए है । सिनेमा में जैसे किसी जमाने में राजकपूर की हैसियत थी ठीक वैसी ही हैसियत माननीय मोदी जी ने भी बना ली है । उनके भक्त / अंधभक्त बेहतर हो कि मोदी जी को भगवान का अवतार कहने के बजाय सियासत का राजकपूर कहें। राजनीति के राजकपूर नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा दिए गए नोटिस का जबाब अयोध्या में राममंदिर से अपना चुनावी रोड शो कर दे दिया है।अब केंचुआ को समझ लेना चाहिए की मोदी जी नहीं सुधरने वाले। बेहतर हो कि केंचुआ ही अपने आपको सुधार ले।
माननीय मोदी जी के हिन्दू-मुसलमान वाले भाषणों को लेकर केंचुआ ने साहस दिखाते हुए मोदी जी के बजाय उनकी पार्टी को नोटिस जारी किया था ,हालाँकि नोटिस जाना चाहिए था राजनीति के राजकपूर यानि मोदी जी को। ऐसा ही नोटिस राहुल गांधी को भी मिला था। राहुल राजनीति के भारत कुमार यानि मनोज कुमार कहे जा सकते हैं। उनके शो कामयाब हों या न हों लेकिन वे -‘भारत का रहने वाला हूँ ,भारत की बात सुनाता हूँ ‘ की तर्ज पर सियासत कर रहे हैं। दोनों को 29 अप्रेल तकनोटिस का जबाब देना थ। दोनों दलों ने क्या जबाब दिया या नहीं दिया ये केंचुआ ही जानता है ,लेकिन मोदी जी ने आदर्श आचार संहिता की धज्जियां उड़ाकर अयोध्या में मेगा रोड शो कर केंचुआ को अपना जबाब दे दिया।
जाहिर है कि मोदी जी किसी से नहीं डरते । न संविधान से और न संवैधानिक संस्थाओं से।केंचुआ तो है किस खेत की मूली ? केंचुआ को नहीं पता कि मोदी जी नागपुर के उस खेत की मूली हैं जो किसी दूसरे खेत में पैदा नहीं होती। मोदी जी पहले नागपुर के संघ परिवार का हिस्सा होते थे,कालांतर में उनका अपना मोदी परिवार है। यानी अब संघ परिवार मोदी परिवार का हिस्सा है। मोदी परिवार अब संघ परिवार से कहीं ज्यादा बड़ा हो गया है। राजनीति में दिलचस्पी रखने वाली नई पीढ़ी संघ परिवार का हिस्सा बनने के बजाय अब मोदी परिवार का हिस्सा बनना ज्यादा पसंद कर रही है। क्योंकि मोदी जी हैं तो सब कुछ मुमकिन है।
मोदी जी के बढ़ते परिवार के सामने जब नागपुर का संघ परिवार नहीं टिका तो नेहरू-गांधी का परिवार क्या ख़ाक टिकेगा ? केंचुआ परिवार तो और छोटा है। उसे मोदी जी के भाषणों का संज्ञान लेना हीनहीं चाहिए था । नोटिस देना ही नहीं चाहिए था। मै तो कहता हूँ कि केंचुआ को अपने नोटिस को वापस लेकर माननीय मोदी जी से क्षमायाचना कर लेना चाहिए ,अन्यथा मोदी जी और उनका परिवार अबकी संविधान के साथ -साथ केंचुआ की शक्ल-सूरत भी बदल देगा। मोदी परिवार में शामिल होने के लिए संघ की किसी शाखा में जाकर संघ-दक्ष करने की जरूरत नहीं है। बस असंवैधानिक इलेक्टोरल बांड की तरह कुछ खरीदो और भाजपा को दे दो ! आपको मोदी परिवार में शामिल कर लिया जाएगा।
बहरहाल मैंने बात शुरू की थी केंचुए के नोटिस और आदर्श आचार संहिता की। तो आपको जान लेना चाहिए कि केंचुआ केवल विपक्ष के लिए है, भाजपा के लिए नहीं। आदर्श आचार संहिता भी भाजपा के लिए नहीं बनी है। भाजपा के अपने आदर्श हैं जो आदर्श आचार संहिता के आदर्शों के मुकाबले बहुत बड़े हैं।भाजपा का पहला और आखरी आदर्श सत्ता है और कुछ नहीं । इसलिए केंचुआ को मोदी जी से या उनकी भाजपा से पंगा नहीं लेना चाहिये । जो और जैसा चल रहा है ,चलते देना चाहिए। भाजपा और मोदी जी के खिलाफ आने वाली विपक्ष की तमाम शिकायतों के लिए केंचुआ को अपने दफ्तर की डस्टविन का इस्तेमाल करना चाहिए।
मोदी जी से सब हारे हैं। राम जी भी शायद। अपने मंदिर के बाहर अपने भक्त मोदी जी की आरती उतरते देख उनका मन खुश हुआ या खिन्न ये मुझे नहीं पता ,लेकिन रामराज्य में ये अनूठा प्रयोग है। राम मंदिर से हो हुए मेगा शो के पहले मंदिर सजाने के लिए भगवा टेंट-तम्बू और कार्पेट का खर्चा भाजपा के खाते से हुआ या मंदिर ट्रस्ट के खाते से इस पर भूले से भी शोध नहीं होना चाहिए ,क्योंकि घी खिचड़ी में जाए या खिचड़ी घी में कोई फर्क नहीं पड़ता। राम जी की प्राण-प्रतिष्ठा मोदी जी ने कराई है ,इसलिए अब राम जी की ड्यूटी है की वे मोदी जी को 400 पर कराएं। नहीं कराएँगे तो जग-हंसाई तो राम जी की होगी ,मोदी जी की नहीं।
राम जी की ताउम्र सेवा करने वाले हनुमान जी भी 4 मई को मोदी जी का मेगा शो देखकर दंग थे। उनकी मुख-मुद्रा से लग रहा था कि जैसे वे मोदी जी से ईर्ष्या कर रहे हैं और राम जी से शिकायत ! 7 मई को मतदान का तीसरा चरण यानी लोकतंत्र के साथ सत्ता की तीसरी भांवर पड़ने वाली है। फैसला आपको करना है। आपके सामने अनेक लोगों की प्रतिष्ठा का सवाल होगा । मोदी परिवार,संघ परिवार, गांधी परिवार ,यादव परिवार ,माया परिवार संविधान और केंचुआ आदि । आपका वोट तय करेगा कि देश में क्या बचे और क्या नहीं ?
@ राकेश अचल
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