@सतीराम राना
कम समय और कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में काश्तकारों द्वारा लगातार रासायनिक खादों एवं केमिकल के प्रयोग अब सब्जियां जहरीली होती जा रही है। विषैली होने से खाने लायक हीं है। वहीं स्वाद भी गायब हो गया है। अब चिकित्सक भी हरी सब्जियों के खाने में परहेज की सलाह दे रहे हैं।
घटते उत्पादन व बढ़ती महंगाई के चलते सब्जियों के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। इसी का फायदा उठाकर काश्तकार ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में सब्जियों में लगातार रासायनिक खाद एवं कैमिकल का प्रयोग करने लगे।
कुछ किसान लौकी के तने में प्रतिबंधित इंजेक्शन आक्सीटोसिन का प्रयोग कर समय से पहले बढ़ा रहे हैं। जिससे लौकी एक ही रात में कई फुट लंबी हो जाती है। इसी प्रकार बैगन, भिंडी को बड़कर हरा करने तथा सौंदर्य बनाने के लिए नुवान आदि कैमिकल का प्रयोग करते हैं। ध्यान रहे काश्तकारों द्वारा हरी सब्जी में प्रयोग करने वाले रसायन व कैमिकल स्वास्थ्य पर कितना कुप्रभाव डालते हैं।
विशेषज्ञ कहते हैं कि सब्जियों में कीटनाशक छिड़काव करने के करीब दो दिन बाद खेतों से तोड़नी चाहिए ताकि सब्जी में दवाई का असर खत्म हो जाये और खाने में कोई नुकसान नहीं हो। विशेषज्ञों का मानना है कि सब्जियों में हरी खाद व पंजीकृत दुकानों एवं सरकारी गोदामों से ही छिड़काव करने वाले दवायें खरीदें ताकि गुणवत्ता बनी रहे तथा कोई दुष्परिणाम न निकले।
ऐसी केमिकल युक्त सब्जियों का कितना कुप्रभाव पड़ता है इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। इसी प्रकार आलू को नया बनाने के लिए व्यापारी आलू को तेजाब मिली बालू में डालकर रखते हैं, जिससे आलू नया होने की शक्ल में आ जाता है। चिकित्सकों के अनुसार हरी सब्जी में प्रयोग किये जाने वाला रासायनिक व कैमिकल स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डालता है। साथ ही ऐसी सब्जियां सेवन करने वाले के मानस पटल के लिए घातक साबित हो सकती हैं। इससे लोगों के मानसिक रूप से विक्षिप्त होने की संभावना बन जाती है। सब्जियों में अत्यधिक रासायनिक खादों व कैमिकल का प्रयोग नुकसान दायक होता है। विशेषज्ञों ने ऐसी सब्जियों से परहेज रखने की सलाह दी है।
मेलाकाइट नामक केमिकल शरीर को विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुंचाता है। शरीर में जाने के बाद या नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इसके अलावा ऐसे सब्जी खाने वाले लोग मधुमेह हाई बीपी के शिकार हो रहे हैं। लंबे समय तक सेवन करने वाले को कैंसर जनित बीमारियां होने की आशंका प्रबल हो जाती है। मस्तिष्क के अलावा त्वचा को भी प्रभावित करता है। जिससे तेजी से बाल भी झड़ने लगते हैं। ऐसे केमिकल से बचने के लिए चमकते रंग सब्जियों का दरकिनार करना जरूरी है।