@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (20 जुलाई, 2021)
उत्तराखंड के लिये एक बेहतर भू-क़ानून बनाने और वनों पर उत्तराखंडियों के पुश्तैनी हक़-हकूक और वनाधिकार बहाली के लिये उत्तराखंडियों ने राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया।
पुलिस द्वारा अनुमति न दिए जाने के बावजूद धरने पर जमे आंदोलनकारियों की मांग थी कि अन्य हिमालयी राज्यों की तरह उत्तराखंड के लिये भी वहां की सरकार भू-कानून बनाए। आंदोलनकारियों ने केंद्र सरकार से एक बेहतर भू-क़ानून बनाए जाने की मांग करते हुए जल, जंगल, जमीन पर स्थानीय नागरिकों को उनके वाजिब हक के साथ-साथ वनाधिकार क़ानून-2006 को राज्य में लागू किया जाए।
आन्दोलनकारियों ने कहा कि राज्य की 91% भूमि उत्तराखंडियों ने राष्ट्र व मानवता की रक्षा के लिये समर्पित की हुई है। मात्र 9% भूमि पर वहां के निवासी गुज़र-बसर कर रहे हैं। लिहाजा, राज्य के निवासियों को इस भूमि को वापस किया जाए या उसकी क्षतिपूर्ति की जाए।
आंदोलनकारियों ने कहा कि यह बिलकुल सही और उपयुक्त समय है जब वन तथा वन्य पशु से सम्बन्धित क़ानूनों की समीक्षा ज़रूरी हो गयी है। क्योंकि ये नियम-क़ानून स्थानीय समुदायों पर कुठाराघात करते हैं। आन्दोलनकारियों ने कहा कि वे केंद्र व राज्य सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि इन जायज़ मांगों को तुरन्त स्वीकार किया जाए।