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एनसीईआरटी की पुस्तक में प्रकाशित कविता “आम की टोकरी” पर आईएएस अधिकारी ने उठाये सवाल, सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो

एनसीईआरटी की किताब में छपी एक कविता को लेकर आईएएस अधिकारी ने सवाल उठाया है। आम की टोकरी शीर्षक से कक्षा 1 में पढ़ाई जाने वाली  पुस्तक रिमझिम-1 की एक कविता पर सोशल मीडिया में बहस छिड़ी हुई है।

इस कविता के शीर्षक को लेकर तो कोई विवाद नहीं है लेकिन कविता की भाषा को लोग गलत बता रहे हैं और  इसे पाठ्यक्रम से हटाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि एनसीईआरटी कविता को सही  बताया गया है। 

आम की टोकरी शीर्षक से यह कविता रामकृष्ण शर्मा खद्दर ने लिखी है। कक्षा 1 के पाठ्यक्रम में इसे 2006 से लगातार पढ़ाया जा रहा है। इस कविता को लेकर  छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी ने आपत्ति जताई थी। ट्विटर पर उन्होंने इस कविता पर आपत्ति जताते हुए लिखा कि किस वाहियात ने यह कविता लिखी है। इसके बाद कई यूजर्स भी कविता के शब्दों में गंदगी खोजकर इसे हटाने की माँग करने लगे।आईएएस अवनीश शरण ने इस संबंध में ट्वीट में लिखा, “ये किस ‘सड़क छाप’ कवि की रचना है ?? कृपया इस पाठ को पाठ्यपुस्तक से बाहर करें।”

इस पूरे मुद्दे पर एनसीईआरटी ने ट्वीट कर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। ट्वीट में कहा गया है- “पाठ्यपुस्तक में जो भी कविताएं हैं, वह स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुंचाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए शामिल की गई हैं, ताकि सीखना रुचिपूर्ण हो सके। 

संस्थान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। इसी पाठ्यचर्या की रूपरेखा के आधार पर भविष्य में पाठ्यपुस्तकों का निर्माण किया जाएगा। 

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