ऑस्ट्रेलिया स्थित भारतीय उच्चायोग ने ऑस्ट्रेलिया के एक दैनिक अखबार में छपी रिपोर्ट को आधारहीन, दुर्भावनापूर्ण और निंदनीय करार दिया है। इस रिपोर्ट में भारत में लगातार बढ़ते कोरोनावायरस मामलों को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की गई है। रिपोर्ट में कई आयोजनों का जिक्र किया गया है और कहा गया है कि चुनावी रैलियों में हजारों की भीड़ को अनुमति, कुंभ मेले की इजाजत देना, एक्सपर्ट्स की सलाह को अनदेखा करना, जिन्होंने नए स्ट्रेन को लेकर चेताया था, भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों का कारण है।
ऑस्ट्रेलिया के अखबार की रिपोर्ट में भारत में ऑक्सीजन और टीकाकरण की कमी को लेकर भी सरकार की आलोचना की गई है। आर्टिकल में अहंकारी, राष्ट्रवादी राजनीति, धीमी गति में टीकाकरण, लचर स्वास्थ्य व्यवस्था और कंटेनमेंट के बजाय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना जैसी बातों का इस्तेमाल किया गया है।
भारतीय दूतावास ने ‘द ऑस्ट्रेलियन’ के एडिटर इन चीफ क्रिस्टोफर डोर को पत्र लिख उनपर आरोप लगाते हुए कहा है कि यह आर्टिकल महामारी से लड़ने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए सार्वभौमिक रूप से प्रशंसित दृष्टिकोण को कम करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ लिखा गया है।
पत्र में भारत सरकार द्वारा कोरोना से लड़ाई में कई कदमों का जिक्र किया गया है। इसमें पिछले साल मार्च में लगाए गए लॉकडाउन से लेकर दुनिया में सबसे बड़े स्तर पर चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान का भी जिक्र किया गया है। चिट्ठी में कहा गया है कि बीमारी को पहचानने और वक्त से उसका इलाज करते हुए लाखों लोगों की जान बचाई गई है और भारत की इन कोशिशों को दुनियाभर में सराहा गया है।
पत्र में कहा गया है कि वैक्सीन मैत्री के तहत कई देशों को टीका भिजवाया गया, अन्य जरूरी उपकरण भिजवाए गए, जिससे दुनियाभर में लाखों लोगों का जीवन सुरक्षित हो पाया। उच्चायोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चुनावी अभियान चलाए जाने और कुंभ को लेकर जवाब देते हुए अखबार पर जमकर निशाना साधा।