@शब्द दूत ब्यूरो
सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न अदालतों के जजों से महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों में स्टीरियोटाइप टिप्पणियों से बचने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पीड़िता को राखी बांधने की शर्त के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपी को जमानत देने के फैसले को रद्द किया। कोर्ट ने जजों, वकीलों व सरकारी वकीलों के सेंसटाइजेशन के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल सहित कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पीड़िता को राखी बांधने की शर्त के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपी को जमानत देने के मामले में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से मदद मांगी थी।
मध्य प्रदेश के इस मामले में 9 महिला वकीलों ने जमानत की शर्त को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। महिला वकीलों ने कहा कि ऐसे आदेश महिलाओं को एक वस्तु की तरह दिखाते हैं। दरअसल, अप्रैल 2020 में पड़ोस में रहने वाली महिला के घर में घुसकर छेड़छाड़ के आरोप में जेल में बंद विक्रम बागरी ने इंदौर में जमानत याचिका दायर की थी।
30 जुलाई को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने छेड़छाड़ के एक आरोपी को सशर्त जमानत दी थी। इसमें एक शर्त यह थी कि आरोपी रक्षाबंधन पर पीड़ित के घर जाकर उससे राखी बंधवाएगा और रक्षा का वचन देगा। आरोपी विक्रम बागरी उज्जैन जेल में बंद है। सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद जस्टिस रोहित आर्या की सिंगल बेंच ने आरोपी को 50 हजार के मुचलके के साथ जमानत दी थी।