@शब्द दूत ब्यूरो
नई दिल्ली। डिजिटल मीडिया की नई गाइडलाइन के तहत आपातकालीन स्थिति में इंटरनेट पर कंटेंट यानी सामग्री को ब्लॉक करने का नियम नया नहीं है और 2009 से ही यह नियम चला आ रहा है। केंद्र सरकार ने यह जानकारी दी है। केंद्र की ओर से यह सफाई ऐसी आलोचनाओं के जवाब में आई है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार खुद को ऐसी असाधारण शक्तियों से लैस कर रही है, उससे प्रकाशन वाले मंचों के पास अपनी बात रखने का कोई अवसर नहीं मिलेगा।
बता दें कि इलेक्ट्रानिक एवं सूचना-तकनीक मंत्रालय ने गुरुवार को गाइडलाइन्स फ़ॉर इंटरमीडियरीज़ एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड 2021 जारी किया था। यह ऑनलाइन न्यूज समेत डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया और ओटीटी स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म को नियमित करने के लिए है।
गाइडलाइन के तीसरे चरण का नियम 16 सूचना एवं प्रसारण सचिव को किसी आपातकालीन स्थिति में इंटरनेट पर किसी कंटेंट को ब्लॉक करने की शक्ति देता है। मीडिया संगठनों और राजनीतिक दलों ने इसकी आलोचना की है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर इस अधिकार का अत्यधिक संयम के साथ इस्तेमाल नहीं होता है तो यह रचनात्मकता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए बेहद खतरनाक है।
सिंघवी ने कहा कि नौकरशाह ही दुनिया के जार, मोनार्क हैं, और दुर्भाग्य से सरकार ने किसी भी क्षेत्र में कोई संयम नहीं दिखाया है। हालांकि केंद्र सरकार ने स्पष्ट कहा है कि यह प्रावधान बिल्कुल वही है जो पिछले 11 सालों से आईटी मंत्रालय के सचिव द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है। अलग से कोई प्रावधान इस बार नहीं किया गया है।


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