नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में बुलाया गया किसानों का चक्का जाम समाप्त हो गया। हरियाणा के फ़तेहाबाद में किसानों ने वाहनों के हॉर्न बजाकर चक्का जाम का कार्यक्रम समाप्त किया। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर अन्य जगहों पर किसानों ने चक्का जाम के दौरान राजमार्गों को बंद किया। प्रदर्शनकारी किसानों ने पलवल हाईवे समेत कई अन्य राजमार्गों को जाम किया। चक्का जाम के मद्देनजर दिल्ली को हाई अलर्ट पर रखा गया था। दिल्ली-एनसीआर में 50,000 के करीब जवानों की तैनाती की गई और लाल किले को छावनी में तब्दील कर दिया गया था।
हजारों की संख्या में पहुंचे किसानों ने कई नेशनल हाइवे को जाम कर दिया। बच्चे, महिला और पुरुष पैदल, गाड़ियों और ट्रैक्टर ट्रालियों पर सवार होकर जाम स्थल पर पहुंचे। किसानों ने कहा कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं होते तब तक आंदोलन जारी रहेगा। किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि कितना ही लम्बा समय लगे, प्रदर्शन जारी रहेगा, अगर सरकार यह समझती है कि लंबे समय के चलते आंदोलन कमजोर होगा तो सरकार की भूल है।
चक्का जाम के दौरान किसानों ने सोनीपत पर ईस्टर्न पेरिफेरेल एक्सप्रेस-वे बंद किया। किसानों ने अपने ट्रैक्टर और बड़े ट्रक लगाकर ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफ़ेरेल एक्सप्रेसवे बंद किया। उधर, किसानों ने सोनीपत में कुंडली बॉर्डर के पास केजीपी-केएमपी पर जाम लगाया।एम्बुलेंस व जरूरी सेवाओं से जुड़े वाहनों को किसानों ने नहीं रोका।
किसान संगठनों के आह्वान पर बुलाये गये चक्का जाम के दौरान, किसानों ने जम्मू-पठानकोट हाईवे, अमृतसर-दिल्ली नेशनल हाईवे, शाहजहांपुर (राजस्थान-हरियाणा) बॉर्डर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम किया।