@फैसल खान
पहले सोनभद्र और अब लखनऊ, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव के बाद से ही उत्तर प्रदेश के लगातार दौरे कर सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमलावर हैं। लखनऊ की घटना के बाद कई लोगों ने प्रियंका गांधी पर सवाल उठाए लेकिन जानकारों के मुताबिक एक सोची समझी रणनीति के तहत कांग्रेस नेता ऐसा कर रही हैं। दरअसल, प्रदेश में कांग्रेस की संगठनात्मक शक्ति और जनाधार ज्यादा नहीं है। इसी वजह से प्रियंका समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से पहले योगी सरकार पर हमला बोलकर जनता का ध्यान खींचने की रणनीति पर अमल कर रही हैं।
प्रियंका ने पुलिस ऑर्डर की अवहेलना करने और शनिवार को लखनऊ में एक गिरफ्तार पूर्व IPS अधिकारी के घर तक कई किलोमीटर के मार्च के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि कांग्रेस 2022 का विधानसभा चुनाव अपने बलबूते लड़ सकती है।
अखिलेश यादव और मायावती अभी भी सीएए और एन आर सी विरोध प्रदर्शन के दौरान राज्य में मारे गए 20 से अधिक लोगों में से किसी के भी घर नहीं गए हैं। दोनों विपक्षी नेताओं ने इसका जिम्मा पार्टी के प्रमुखों नेताओं को सौंप रखा है। वहीं, प्रियंका बिजनौर में दो पीड़ित परिवारों के घर जा चुकी हैं। प्रियंका की रणनीति ने विपक्षी पार्टियों को बैकफुट पर धकेल दिया है।
यह भी माना जा रहा है कि प्रियंका के आक्रामक रुख की वजह से ही अखिलेश ने रविवार को हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण में जाने का फैसला रद्द कर दिया। इसके बजाय एसपी प्रमुख ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि वह और उनकी पार्टी के कार्यकर्ता नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर फॉर्म नहीं भरेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि एसपी विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देगी। अखिलेश ने कहा, ‘NPR-NRC गरीबों, अल्पसंख्यकों और मुस्लिमों के खिलाफ है। उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन के दौरान जितनी भी मौतों हुईं, उन सबके जिम्मेदार योगी आदित्यनाथ हैं।’
योगी के खिलाफ ‘दबंग’ नेता बन रहीं प्रियंका
प्रियंका खुद को योगी सरकार के खिलाफ एक ‘दबंग’ महिला के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं। वह खुद को ऐसी सरकार से टकराने वाली नेता के रूप में पेश कर रही हैं, जो महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोक नहीं पा रही है और उन्हें पीड़ित परिवारों के घर आने-जाने से रोकना चाहती है। इस साल की शुरुआत में यूपी सरकार ने प्रियंका को सोनभद्र के उस गांव में जाने से रोकने की कोशिश की थी, जहां जमीन के विवाद में आदिवासियों की हत्या हुई थी।
प्रियंका ने पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए वहां दो दिनों तक डेरा डाले रखा था, तब जाकर उन्हें स्थानीय लोगों से मिलने की इजाजत मिली थी। प्रियंका ने शनिवार को पुलिस पर ‘दुर्व्यवहार’ का आरोप लगाया था। इसे लेकर पुलिस उनकी आलोचना कर रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस की एक अधिकारी ने प्रियंका के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रियंका ने अपने पार्टी कार्यालय से निकलने के बाद रास्ता बदल दिया और उनके साथ ‘दुर्व्यवहार’ होने के आरोप गलत हैं।