@शब्ददूत ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में नागरिकता संशोधन बिल को मंजूरी मिल गई है। अब इस बिल को अगले हफ्ते संसद में पेश किया जा सकता है। इस बिल के अनुसार, नागरिकता प्रदान करने से जुड़े नियमों में बदलाव होगा और अवैध प्रवासियों को बेगैर दस्तावेज के नागरिकता मिलेगी। वहीं 1985 के असम करार का उल्लंघन बताकर विरोध हो रहा है।
हालांकि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने नागरिकता संशोधन विधेयक की तुलना जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे से संबंधित अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने वाले विधेयक से की है। बीजेपी संसदीय दल की बैठक में राजनाथ सिंह ने कहा कि विधेयक उतना ही महत्वपूर्ण है जितना अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने वाला विधेयक था।
बता दें कि मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में नागरिकता संशोधन विधेयक को पेश किया था लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के चलते इसे पारित नहीं कराया जा सका। विपक्ष ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक आधार पर भेदभावपूर्ण बताया।
विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किये जाने के कारण संबंधित देश से पलायन करने वाले हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध एवं पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। असम एवं अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध हो रहा है, जहां अधिकतर हिंदू प्रवासी रह रहे हैं।
रक्षा मंत्री सिंह ने पार्टी सांसदों से कहा कि जब गृह मंत्री अमित शाह नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करें तब वे बड़ी संख्या में उपस्थित रहें। उन्होंने संसद में पार्टी सांसदों के अनुपस्थित रहने को गंभीरता से लिया। सांसदों को इस बात से भी अवगत कराया कि विधेयकों पर चर्चा और उनके पारित होने के वक्त उनके उपस्थित नहीं रहने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाखुशी जताई है। सिंह ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर विपक्ष की आलोचनाओं को खारिज किया और कहा कि भाजपा हमेशा देश और लोगों को एकजुट करने के लिए काम करती है।